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1 Apr 2017 · 1 min read

“उनकी यादे”

भूलती नही जिनकी यादे,
काश! मुझे ढूँढ़ती उनकी आँखे,,
मैं हर लम्हा उनके साथ होता,
याद आती है जिनकी बाते,,
वो सुबह,वो शाम,वो नए साल की राते,
कैसे भूल जाऊ मैं इतनी सारी बाते,,
जो सुनाऊ अपना दर्द ज़माने को,
वो समझते है इसे महज़ बाते,,
ये अक्षरो के आकार मुझे सताते है,
ग़ज़ल बनकर मेरे लबो पर आते है,,
जो सुनते है मेरे दर्द को ज़माने वाले,
वो भी वाह!वाह! के नारा लगते है,,
मेरे खुदा मुझे ऐसी दुहाई देदे,
ग़मो से मेरे मुझे जुदाई देदे,,
ऐसे ही अगर है मलतब की सारी दुनिया,
तो ऐसी दुनिया से अच्छा मुझे तन्हाई देदे,,
ये क़ुबूल नही तो वो भी बता दे,
फिर सुनले मेरी आखरी बाते,,
की भूलती नही जिनकी यादे,
काश!..मुझे ढूंढ़ती उनकी आँखें!

((((ज़ैद बलियावी))))

1 Like · 1 Comment · 755 Views
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