उदासी क्यों
आज फिर एक लघु प्रयास मेरी तरफ से।?
” उदासी क्यों ”
क्यों रूठ जाते हो ऐसे
जैसे मनाना बस की बात नहीं।
जब रंज हो जाते हो आप तो
हँसाना बस की बात नहीं।।
वादा किये थे आप मुझसे
छोड़ेंगे तेरा साथ नहीं।
ऐसा मुझे क्यों लगता है कि
अब आपसी कोई मुलाकात नहीं।।
सीने से मुझे लगाते थे आप
जब मैं करता था कोई काम सही।
पर तेरी इस खामोशी को
समझना बस की बात नहीं।।
माना गलती मेरी थी
ठहरे बिल्कुल आप सही।
चेहरे पर विरक्ति मेरी भी है
मुस्कुराना बस की बात नहीं।।
मैं आपसे रूठ जाँऊ
ये मेरी फितरत नहीं।
जब रूठ जाते हैं आप तो
मनाना बस की बात नहीं।।
( कुमार अनु ओझा )