Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Oct 2021 · 3 min read

उत्सव की खुशी

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हमारे जीवन में उत्सव की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका हैं।यह हमारे दिमाग को संतुलित तथा हमारे आसपास के क्षेत्रों को स्वच्छ रखने में भी महत्वपूर्ण है।हमारे हिंदू समाज में पर्व-त्योहारों और इनसे संबंधित उत्सवों की कोई कमी नहीं हैं और उन्हीं उत्सवों में से एक हैं-दूर्गापूजनोत्सव।
इसे अपने दादा-दादी के साथ मनाने राहुल और तन्वी लगभग 12 वर्षों के बाद अपने गाँव आ रहे थे।चलिए जानते हैं राहुल और तन्वी की दूर्गापूजनोत्सव को लेकर मानसिक खुशी और उसके दादा-दादी की अपार ख़ुशियाँ।

राहुल और तन्वी भाई-बहन थे।वह अपने पापा के नौकरी के वजह से लगभग बारह वर्षों से शहर में ही रह रहे थे।इस बीच वे कभी गाँव आये भी नहीं।गाँव की यादें अब उनके लिए बहुत धुँधली हो चुकी थीं,लेकिन हाँ उन्हें अपने दादा-दादी के चेहरे भर याद थे ।वे बचपन में अक्सर शाम में दादा के साथ अपने खेतों में या अन्य कहीं-कहीं गाँव में ही घुमने जाया करते थे।और शहर में जो उन्हें सबसे ज़्यादा याद आती थी वो ये था कि वे गाँव में अपने पूरे परिवार के साथ प्रत्येक उत्सवों में खूब मजे किया करते थे।आज फिर एक बार दुर्गापूजा शुरू होने के चौथे दिन पर अपनी कॉलेज-स्कूल के छुट्टी के दौरान छुट्टियाँ मनाने गाँव बारह साल बाद आ रहे थें और इससे ही उनकी खुशी का अंदाजा लगाया जा सकता हैं।अतः, उन्हें उनके दादा-दादी से मिलकर होने वाली खुशी तथा दूर्गापाजनोत्सव दादा-दादी के साथ मनाने की खुशी अवर्णनीय है,परंतु मैंने एक छोटी-सी प्रयास की हैं इसे शब्दों से सजाने का।

वे दोंनो ट्रेन से सफर कर रहे थे।उनके पास ही के सीट पर एक बुजुर्ग महिला बैठी हुई थी जो उम्र के हिसाब से उनदोनों के दादी जैसी थीं।तन्वी उनसे बातचीत करने लगती हैं।बुजुर्ग महिला भी बड़े प्यार से उत्सवों और इनके महत्वों तथा उनके गाँव के लोगों के पर्व-त्यौहार को मनाने के तरीकों को बताए जा रही थीं।तन्वी और राहुल दोनों को ट्रेन के प्यारी सफर के साथ-साथइतनी सारी नयी नयी जानकारियां मिल रही थी और वे दोनों बहुत सुखद अनुभव कर रहे थे।महिला भी सफर के मजे लेते हुए अपनी बात कही जा रही थीं।उन्होंने कहा:-ये सफर और पर्व-त्यौहार दोनों हमारे बोझिल-सी जिन्दगी को बहुत आसान बना देते हैं।ये हर बार हमें जीने का नया मौका देते हैं।ये उत्सवे हमारी जिंदगी को सजाने-सवारने का काम करती हैं और इन उत्सवों में अपनों का साथ चार चाँद लगा देता हैं ।इन सबसे हमारी पूरी दुनिया हमें रँगीन और मनोरम नजर आती हैं।हम अपने जीवन की कल्पना इसके बिना कर ही नहीं सकते और भी इसी तरह वह महिला अपने जीवन की अनुभवो को उनदोनों के साथ साझा करती जा रही थीं।सभी एक दुजे का साथ पाकर ट्रेन में बहुत खुश थे।

अब,तन्वी और राहुल का स्टेशन आ चुका था।उनके साथ ही वह बुजुर्ग महिला भी उतर गई परन्तु उसे दूसरी तरफ जाना था।दोनों ने उन्हें अलविदा कहा औऱ अपने दादा-दादी के गाँव के लिए निकल गए।रास्ते भर वे धुँधली यादों को फिर से ताज करने की कोशिश कर रहे थे जिससे दादा-दादी से मिलने के लिए वे और उत्तेजित हो रहे थे।रिक्शा से वे दोनों सीधे अपने घर के दरवाजे पर पहुँचे।दादी उन्हें देखते ही पहचान गयी।उन्होंने राहुल के दादा को बुलाया और दोनों ख़ुशी से झूम उठे।राहुल और तन्वी ने दादा-दादी के पैर छुए और उनके साथ घर के अंदर चले गए।दादाजी ने उन्हें खाने के लिए कुछ बिसकिट्स दिए और दादीजी ने उनदोनों के लिये अच्छी-अच्छी पकवान बनाएँ और शाम को उन्हें गाँव घुमाने के लिए ले जाने का वादा किया।

वेदोनों खाना खाकर आराम करने लगें और शाम होने की इन्तेजार में थके हुए होने के कारण सो गए।आज दशहरा का चौथा दिन था जब राहुल और तन्वी गाँव आये थे ।दादा-दादी भी इस पर्व को अपने पोता-पोती के साथ मनाने के लिए बहुत उत्साहित थे।उन्होंने तन्वी और राहुल को अपने साथ ले जाकर पूरा गाँव घुमाया।उनके गाँव में ही इस उत्सव का आयोजन बहुत धूमधाम से किया जाता था।

वेदोनों गाँव के लोगों की पूजा और श्रद्धा भाव से बहुत प्रभावित हुए।अन्ततः उनकी छुट्टियाँ समाप्त हुई और वेदोनों शहर के लिए निकल पड़े ,परन्तु इन चन्द दिनों में उन्होंने अपने जीवन को बहुत अच्छे से जियाँ और अपने जीवन में उत्सवों के महत्वों को जाना, समझा और काफी हद तक महसूस भी किया।

✍️✍️✍️खुशबू खातून

6 Likes · 6 Comments · 397 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मैं हू बेटा तेरा तूही माँ है मेरी
मैं हू बेटा तेरा तूही माँ है मेरी
Basant Bhagawan Roy
एहसास
एहसास
Er.Navaneet R Shandily
जीवन के पल दो चार
जीवन के पल दो चार
Bodhisatva kastooriya
तिमिर है घनेरा
तिमिर है घनेरा
Satish Srijan
ख्वाब सुलग रहें है... जल जाएंगे इक रोज
ख्वाब सुलग रहें है... जल जाएंगे इक रोज
सिद्धार्थ गोरखपुरी
हमें आशिकी है।
हमें आशिकी है।
Taj Mohammad
Today's Thought
Today's Thought
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मित्र
मित्र
लक्ष्मी सिंह
आया तीजो का त्यौहार
आया तीजो का त्यौहार
Ram Krishan Rastogi
मम्मी थी इसलिए मैं हूँ...!! मम्मी I Miss U😔
मम्मी थी इसलिए मैं हूँ...!! मम्मी I Miss U😔
Ravi Betulwala
🚩अमर कोंच-इतिहास
🚩अमर कोंच-इतिहास
Pt. Brajesh Kumar Nayak
खुशी(👇)
खुशी(👇)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
धोखा वफा की खाई है हमने
धोखा वफा की खाई है हमने
Ranjeet kumar patre
■ #गीत :-
■ #गीत :-
*Author प्रणय प्रभात*
अवसरवादी, झूठे, मक्कार, मतलबी, बेईमान और चुगलखोर मित्र से अच
अवसरवादी, झूठे, मक्कार, मतलबी, बेईमान और चुगलखोर मित्र से अच
विमला महरिया मौज
हो समर्पित जीत तुमको
हो समर्पित जीत तुमको
DEVESH KUMAR PANDEY
कोई आरज़ू नहीं थी
कोई आरज़ू नहीं थी
Dr fauzia Naseem shad
खाली सूई का कोई मोल नहीं 🙏
खाली सूई का कोई मोल नहीं 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
अपनी सोच का शब्द मत दो
अपनी सोच का शब्द मत दो
Mamta Singh Devaa
हम जो भी कार्य करते हैं वो सब बाद में वापस लौट कर आता है ,चा
हम जो भी कार्य करते हैं वो सब बाद में वापस लौट कर आता है ,चा
Shashi kala vyas
देते फल हैं सर्वदा , जग में संचित कर्म (कुंडलिया)
देते फल हैं सर्वदा , जग में संचित कर्म (कुंडलिया)
Ravi Prakash
कुछ मीठे से शहद से तेरे लब लग रहे थे
कुछ मीठे से शहद से तेरे लब लग रहे थे
Sonu sugandh
लौटना पड़ा वहाँ से वापस
लौटना पड़ा वहाँ से वापस
gurudeenverma198
ना कुछ जवाब देती हो,
ना कुछ जवाब देती हो,
Dr. Man Mohan Krishna
* मुस्कुराने का समय *
* मुस्कुराने का समय *
surenderpal vaidya
"अकेले रहना"
Dr. Kishan tandon kranti
मचलते  है  जब   दिल  फ़िज़ा भी रंगीन लगती है,
मचलते है जब दिल फ़िज़ा भी रंगीन लगती है,
डी. के. निवातिया
👸कोई हंस रहा, तो कोई रो रहा है💏
👸कोई हंस रहा, तो कोई रो रहा है💏
Arise DGRJ (Khaimsingh Saini)
विचार
विचार
Jyoti Khari
2444.पूर्णिका
2444.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
Loading...