Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Mar 2020 · 2 min read

उड़ान

लघुकथा ” उड़ान ”
*************************************
” उड़ान” चाहे बचपन से लड़कपन में प्रवेश करते सपनों की हो ….या बाली उमर के सोलहवें साल की हर एक को सपनों की हसीं दुनिया में ले ही जाती है ……. ।
बचपन से जवान होते सपनों में जब ….सोलहवां सावन दस्तक देने लगता है तो ….जिंदगी में इन्द्र धनुषी रंगों की बरसात…. सतरंगी सपनों को एक नई उड़ान देने लगती है । और तरह-तरह के अतरंगी सपनों के बीच कोई एक रंग दिल की गहराइयों में अनजाने ही उतर कर सपनों की उड़ान को परवाज़ देने लगता है।
ये कहानी किसी एक नायक और नायिका की नहीं …. बल्कि हर इंसान की ….. हम सब की है ……
मेरी भी है ….और ये, मत भूलिए की आपकी भी तो है।
आप उस एहसास को याद कीजिए …..! जब आपके जवां होते सपनों की उड़ान को परवाज़ मिली थी ।और
कोई रंग आपके दिल को अपने रंगों से सराबोर कर गया था ……. मदहोश कर गया था …….।
अंत चाहे सभी का एक-दुसरे से जुदा हो सकता है ,पर आगाज तो उन्हीं इन्द्र धनुषी सपनों की उड़ान से ही हुआ था …. हुआ है …. और आगे भी हमेशा … होता ही रहेगा । जब पंछियों की तरह ही मेरे और आपके मन ने भी मिलन के सपने सजाए उड़ान भरी ….. और अपने महबूब के दिल में दस्तक दी थी । आज आपकी उम्र ने चाहे कितने पड़ाव पार कर लिए हों मगर … उनका जिक्र आते ही वो चमक आज भी आपकी “आंखों में ” नज़र आ रही है ।और यकिन न हो तो अभी आइने के सामने जाकर अपनी आंखों में झांक कर देखिए वो चमक भी नजर आ जाएगी ….. और वो उड़ान भी……!!
++++++++++++++++++++++++++++
” गौतम जैन ”
हैदराबाद

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 378 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
माँ
माँ
Arvina
वृद्धाश्रम में कुत्ता / by AFROZ ALAM
वृद्धाश्रम में कुत्ता / by AFROZ ALAM
Dr MusafiR BaithA
वरदान
वरदान
पंकज कुमार कर्ण
जब मैं तुमसे प्रश्न करूँगा,
जब मैं तुमसे प्रश्न करूँगा,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
तप त्याग समर्पण भाव रखों
तप त्याग समर्पण भाव रखों
Er.Navaneet R Shandily
सपनो में देखूं तुम्हें तो
सपनो में देखूं तुम्हें तो
Aditya Prakash
मुझे भी लगा था कभी, मर्ज ऐ इश्क़,
मुझे भी लगा था कभी, मर्ज ऐ इश्क़,
डी. के. निवातिया
स्वयं का बैरी
स्वयं का बैरी
Dr fauzia Naseem shad
जो हैं आज अपनें..
जो हैं आज अपनें..
Srishty Bansal
कविता: जर्जर विद्यालय भवन की पीड़ा
कविता: जर्जर विद्यालय भवन की पीड़ा
Rajesh Kumar Arjun
मातर मड़ई भाई दूज
मातर मड़ई भाई दूज
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
दिनांक:-२३.०२.२३.
दिनांक:-२३.०२.२३.
Pankaj sharma Tarun
जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ता है और खासकर जब बुढ़ापा नजदीक
जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ता है और खासकर जब बुढ़ापा नजदीक
Shashi kala vyas
तनहाई
तनहाई
Sanjay ' शून्य'
स्वार्थ से परे !!
स्वार्थ से परे !!
Seema gupta,Alwar
Destiny
Destiny
Shyam Sundar Subramanian
"शून्य-दशमलव"
Dr. Kishan tandon kranti
*हुई हम से खता,फ़ांसी नहीं*
*हुई हम से खता,फ़ांसी नहीं*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
" मेरी तरह "
Aarti sirsat
कुछ तो लॉयर हैं चंडुल
कुछ तो लॉयर हैं चंडुल
AJAY AMITABH SUMAN
आईना अब भी मुझसे
आईना अब भी मुझसे
Satish Srijan
मनुष्य को
मनुष्य को
ओंकार मिश्र
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ : दैनिक रिपोर्ट*
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ : दैनिक रिपोर्ट*
Ravi Prakash
23/15.छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
23/15.छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
वैमनस्य का अहसास
वैमनस्य का अहसास
Dr Parveen Thakur
कुछ हाथ भी ना आया
कुछ हाथ भी ना आया
Dalveer Singh
■ #मुक्तक
■ #मुक्तक
*Author प्रणय प्रभात*
हक हैं हमें भी कहने दो
हक हैं हमें भी कहने दो
SHAMA PARVEEN
पहला श्लोक ( भगवत गीता )
पहला श्लोक ( भगवत गीता )
Bhupendra Rawat
ब्यूटी विद ब्रेन
ब्यूटी विद ब्रेन
Shekhar Chandra Mitra
Loading...