उठ जाओ सखा प्यारे
उठ जाओ तुम हुई भौर ,
स्वर्णिम हुआ नभ छोर,
ताजी हवा तुम्हे ढूँढ़ रही,
मैं कब से बैठा हूँ वही,
बागो में सुंदर फूल खिले,
यहाँ वहां देखा तुम न मिले,
उठ जाओ मेरे सखा प्यारे,
छोड़ दुनिया के मोह सारे,
नैन भी बेचारे गए अब तो थक,
धड़कन भी भूल गई करना धक,
।।।जेपीएल।।।