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13 Oct 2017 · 1 min read

उजाला गर नहीं होगा, अँधेरा कौन रोकेगा ! *******

उजाला गर नहीं होगा, अँधेरा कौन रोकेगा ! ****************
करें कोशिश सभी मिलकर की हर घर में दिवाली हो,
निबाला गर नहीं होगा तमाशा कौन देखेगा,
सभी को मिल सके खुशियों की दौलत ऐ मेरे या रव,
अगर कश्ती नहीं होगी किनारा कौन देखेगा
उजाला गर नहीं होगा, अँधेरा कौन रोकेगा ! ******************
जीवन चार दिन का खेल है खुलकर यहाँ जी ले
जवानी गर नहीं होगी, बुढ़ापा कौन देखेगा
चमन के फूल खिलते हैं हमेशा ही हिफाजत से
अगर माली नहीं होगा बगीचा कौन सींचेगा
उजाला गर नहीं होगा, अँधेरा कौन रोकेगा !*******************
ज़माने भर की खुशियों को बहुत मेहनत जरुरी है
पसीना गर न निकलेगा सफलता कौन देखेगा
सियासत ने किया घायल मेरी साझा विरासत को
अगर हमदम नहीं होगा मोहब्बत कौन देखेगा,
उजाला गर नहीं होगा, अँधेरा कौन रोकेगा ! *******************

Language: Hindi
226 Views
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