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21 Mar 2021 · 1 min read

उजड़ी मांग

खून नहीं अब जाया होगा वीरों के वलिदानों का।
सर को धड़ से अलग करेंगे,गद्दारों, शैतानों का।
शांति-यज्ञ अब बहुत हो लिया, कुछ करने की बारी है।
अब तो वध ही करना होगा ,पाक के मेहमानों का।.

(२)

उजड़ी मांग किसी दुल्हन की,सूनी हुईं कलाई है ।
खोया बाप किसी बेटे ने ,बिधवा होगई माई है।
आज कायरों ने फिर मारे, वीर सिपाही भारत के।
बेटा हुआ शहीद किसी का, किसी ने खोया भाई।

कहीं शोक की वेदनाएँ हैं,कहीं क्रोध की ज्वालाएँ।
कहीं सिसकती माँ की ममता,कहीं अश्रु की धाराएँ।।
उजड़ गयी है मांग दुल्हन की,सूनी आज कलाई है,
चिता बाप की जला रहीं है,छोटी छोटी बालाएँ।।

खौल रहा है खून देश का,जन जन में आक्रोश भरा।
राष्ट्र धर्म ही सबसे ऊपर ,मातृ भूमि है पूज्य धरा।।
भारत के बाशिंदे हैं पर , बात पाक की करते जो,
देश के ये ही हैं गद्दार , माफ़ करें न उन्हें ज़रा।

बातों का यह वक्त नहीं अब,हमको कुछ करना होगा।
दहशत गर्दों की खालों में, भूसा अब भरना होगा।
बहुत हो चुकीं बातें मीठी, कुछ करने की बारी है।
घर में घुसकर अब मारेंगे ,निश्चित यह करना होगा।

खतरा दुश्मन से कम है, खतरा है जयचंदों से।
सेना सबल समर्थ हमारी डरती न हथकंडों से।
दस दस अरिसैनिक पर भारी,इक इक राष्ट्र सिपाही है।
कैसे लड़ें युद्ध अब अपना, भीतर घाती बंदों से।

Language: Hindi
1 Like · 281 Views
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