Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Feb 2018 · 2 min read

ईश्वर दयालु है

एक राजा का एक विशाल फलों का बगीचा था. उसमें तरह-तरह के फल होते थे और उस बगीचा की सारी देखरेख एक किसान अपने परिवार के साथ करता था. वह किसान हर दिन बगीचे के ताज़े फल लेकर राजा के राजमहल में जाता था*.
एक दिन किसान ने पेड़ों पे देखा नारियल अमरुद, बेर, और अंगूर पक कर तैयार हो रहे हैं, किसान सोचने लगा आज कौन सा फल महाराज को अर्पित करूँ, फिर उसे लगा अँगूर करने चाहिये क्योंकि वो तैयार हैं इसलिये उसने अंगूरों की टोकरी भर ली और राजा को देने चल पड़ा! किसानब राजमहल में पहुचा, राजा किसी दूसरे ख्याल में खोया हुआ था और नाराज भी लग रहा था किसान रोज की तरह मीठे रसीले अंगूरों की टोकरी राजा के सामने रख दी और थोड़े दूर बेठ गया, अब राजा उसी खयालों-खयालों में टोकरी में से अंगूर उठाता एक खाता और एक खींच कर किसान के माथे पे निशाना साधकर फेंक देता।
राजा का अंगूर जब भी किसान के माथे या शरीर पर लगता था किसान कहता था, ‘ईश्वर बड़ा दयालु है’ राजा फिर और जोर से अंगूर फेकता था किसान फिर वही कहता था ‘ईश्वर बड़ा दयालु है’
थोड़ी देर बाद राजा को एहसास हुआ की वो क्या कर रहा है और प्रत्युत्तर क्या आ रहा है वो सम्भल कर बैठा , उसने किसान से कहा, मै तुझे बार-बार अंगूर मार रहा हूँ , और ये अंगूर तुंम्हे लग भी रहे हैं, फिर भी तुम यह बार-बार क्यों कह रहे हो की ‘ईश्वर बड़ा दयालु है’**
किसान ने नम्रता से बोला, महाराज, बागान में आज नारियल, बेर और अमरुद भी तैयार थे पर मुझे भान हुआ क्यों न आज आपके लिये अंगूर् ले चलूं लाने को मैं अमरुद और बेर भी ला सकता था पर मैं अंगूर लाया। यदि अंगूर की जगह नारियल, बेर या बड़े बड़े अमरुद रखे होते तो आज मेरा हाल क्या होता ? इसीलिए मैं कह रहा हूँ कि ‘ईश्वर बड़ा दयालु है’!!
?????
कथा सार–
*इसी प्रकार ईश्वर भी हमारी कई मुसीबतों को बहुत हल्का कर के हमें उबार लेता है पर ये तो हम ही नाशुकरे हैं जो शुकर न करते हुए उसे ही गुनहगार ठहरा देते हैं, मेरे साथ ही ऐसा क्यूँ , मेरा क्या कसूर, आज जो भी फसल हम काट रहे हैं ये दरअसल हमारी ही बोई हुई है, बोया बीज बबूल का तो आम कहाँ से होये।। और बबुल से अगर आम न मिला तो गुनहगार भी हम नहीं हैं , इसका भी दोष हम किसी और पर मढेंगे ,, कोई और न मिला तो ईश्वर तो है ही।

Language: Hindi
336 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
वन्दे मातरम वन्दे मातरम
वन्दे मातरम वन्दे मातरम
Swami Ganganiya
हृदय में धड़कन सा बस जाये मित्र वही है
हृदय में धड़कन सा बस जाये मित्र वही है
Er. Sanjay Shrivastava
💐प्रेम कौतुक-409💐
💐प्रेम कौतुक-409💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
इंसान
इंसान
Vandna thakur
हाय री गरीबी कैसी मेरा घर  टूटा है
हाय री गरीबी कैसी मेरा घर टूटा है
कृष्णकांत गुर्जर
न जाने क्यों अक्सर चमकीले रैपर्स सी हुआ करती है ज़िन्दगी, मोइ
न जाने क्यों अक्सर चमकीले रैपर्स सी हुआ करती है ज़िन्दगी, मोइ
पूर्वार्थ
खून-पसीने के ईंधन से, खुद का यान चलाऊंगा,
खून-पसीने के ईंधन से, खुद का यान चलाऊंगा,
डॉ. अनिल 'अज्ञात'
उड़ते हुए आँचल से दिखती हुई तेरी कमर को छुपाना चाहता हूं
उड़ते हुए आँचल से दिखती हुई तेरी कमर को छुपाना चाहता हूं
Vishal babu (vishu)
हैं श्री राम करूणानिधान जन जन तक पहुंचे करुणाई।
हैं श्री राम करूणानिधान जन जन तक पहुंचे करुणाई।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
अंबेडकरवादी विचारधारा की संवाहक हैं श्याम निर्मोही जी की कविताएं - रेत पर कश्तियां (काव्य संग्रह)
अंबेडकरवादी विचारधारा की संवाहक हैं श्याम निर्मोही जी की कविताएं - रेत पर कश्तियां (काव्य संग्रह)
आर एस आघात
मिलने के समय अक्सर ये दुविधा होती है
मिलने के समय अक्सर ये दुविधा होती है
Keshav kishor Kumar
शब्द यदि हर अर्थ का, पर्याय होता जायेगा
शब्द यदि हर अर्थ का, पर्याय होता जायेगा
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
अनुभव एक ताबीज है
अनुभव एक ताबीज है
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
शीर्षक - संगीत
शीर्षक - संगीत
Neeraj Agarwal
सुनो सखी !
सुनो सखी !
Manju sagar
ख़ुद लड़िए, ख़ुद जीतिए,
ख़ुद लड़िए, ख़ुद जीतिए,
*Author प्रणय प्रभात*
“अनोखी शादी” ( संस्मरण फौजी -मिथिला दर्शन )
“अनोखी शादी” ( संस्मरण फौजी -मिथिला दर्शन )
DrLakshman Jha Parimal
2493.पूर्णिका
2493.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
जिस्म से रूह को लेने,
जिस्म से रूह को लेने,
Pramila sultan
Hum tumhari giraft se khud ko azad kaise kar le,
Hum tumhari giraft se khud ko azad kaise kar le,
Sakshi Tripathi
खेल और राजनीती
खेल और राजनीती
'अशांत' शेखर
प्रभो वरदान दो हमको, हमेशा स्वस्थ रहने का (मुक्तक)
प्रभो वरदान दो हमको, हमेशा स्वस्थ रहने का (मुक्तक)
Ravi Prakash
होली
होली
Dr. Kishan Karigar
।। गिरकर उठे ।।
।। गिरकर उठे ।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
‘ चन्द्रशेखर आज़ाद ‘ अन्त तक आज़ाद रहे
‘ चन्द्रशेखर आज़ाद ‘ अन्त तक आज़ाद रहे
कवि रमेशराज
उतना ही उठ जाता है
उतना ही उठ जाता है
Dr fauzia Naseem shad
बात मेरी मान लो - कविता
बात मेरी मान लो - कविता
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
पुलवामा अटैक
पुलवामा अटैक
लक्ष्मी सिंह
👨‍🎓मेरा खाली मटका माइंड
👨‍🎓मेरा खाली मटका माइंड
Ms.Ankit Halke jha
.......
.......
शेखर सिंह
Loading...