ईर्ष्या
ईर्ष्या
====
द्वेष विद्वेष का
एक और भाव ईर्ष्या
हमें ही जलाता है,
मन में संताप के
साँप पालता है।
अच्छे भले इंसान को भी
चिड़चिड़ा बना देता,
फायदा कम,
नुकसान ज्यादा ही करा देता।
अच्छे भले संबंधों में
जहर घोल देता,
हम हैं कि समझना ही
नहीं चाहते इसके जहर को,
ईर्ष्या इंसान को ही
तिल तिल सजा देता।
अच्छे भले इंसान को भी
ये ईर्ष्या शैतान तक बना देता।
@सुधीर श्रीवास्तव