ईमानदारी बेचाता (भोजपुरी)
ईमानदारी बेचाता…..!!
—— ——- ——- ——–
जेने जाईं ओने, भ्रष्टाचारे भेटाता
कौड़ी के मोल, ईमानदारी बेचाता,
हाय रे जमाना, अनीतीये के जोर बा
नीचे से ऊपर, भरल सगरे घूसखोर बा।।१।।
शहरी सिपाही या, नेता होखे देश के
बात करे मीठ-मीठ’ खाई तोहे बेच के
बतीये में ओकरा, देशभक्ति पुरजोर बा
नीचें से ऊपर, भरल सगरे घूसखोर बा।।२।।
शिक्षा के क्षेत्र भी ना, ऐह से अछूता बा
पईसा फेक मास्टर बनल, ज्ञान अधुरा बा,
नीम हकीम ऊहां, खतरा पुरजोर बा
नीचे से ऊपर, भरल सगरे घूसखोर बा।।३।।
देशवा के रेल भी त, बहुते महान बा
जनरल के टिकट बाकीर, भरल शयनयान बा
रूपया दीही टीटीई जी के, पाकीटे पर जोर बा
नीचें से ऊपर, भरल सगरे घूसखोर बा।।४।।
बाबूजी दहेज मागें, बबूआ मवाली
पढे में साढे बाईस, चाहीं काम सरकारी,
बेटी मारे कोख में, बस बेटवे पर जोर बा
नीचें से ऊपर, भरल सगरे घूसखोर बा।।५।।
कवनों न्यायालय या, कार्यालय होखे देश के
पईसा फेकीं काम बनी, माटी मिले देश के,
सांच के ना पूछ, बस कमाईऐ पर जोर बा
नीचें से ऊपर, भरल सगरे घूसखोर बा।।६।।
जहाँ जाईं ऊहें बस, सांच के हीनाईं
लबरन के मान बाटे, झूठे के कमाई,
पांचों ऊंगली घी में , अब कढाईये पर जोर बा
नीचे से ऊपर , भरल सगरे घूसखोर बा।।७।।
©®…… …… . . .?
पं.संजीव शुक्ल “सचिन”