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14 May 2021 · 1 min read

ईद

सेवई में अब वो मिठास नहीं,
पहले सा ईद का एहसास नहीं।

ना किसी के घर जा सकते,
ना किसी को बुला सकते,
ना ही हाथ मिला सकते,
ना जी भर गले लगा सकते,

पास रहकर भी पास नहीं,
पहले सा ईद का एहसास नहीं।

तन्हा ,चुपचाप पड़े है घर में,
कैसी उदासी है हर नज़र में,
हवाएं घुल रही है ज़हर में,
सुकून गांव में ना शहर में,

आज तो कुछ भी खाश नहीं,
पहले सा ईद का एहसास नहीं।

नूर फातिमा खातून नूरी शिक्षिका
जिला-कुशीनगर‌‌‌

Language: Hindi
2 Likes · 484 Views
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