“”इस जग को कुछ दे जाइए””
ताली दोनों हाथ से बजती, प्रेम से इसे बजाइए।
अपनी डफली अपना राग, यूं ना अकेले गाइए।
तनिक मिला जीवन इस जग में,
इस जग को कुछ दे जाइए।।
रहो न किसी से उखड़े उखड़े, दुखड़े मिल बैठकर सुलझाइए।
भूलकर भी कभी ना लोगों, वैमनस्य बढ़ाइए।
याद करे दुनिया बाद हमारे ,कुछ ऐसा कर जाइए।
तनिक मिला जीवन इस जग में,
इस जग को कुछ दे जाइए।।
दो पहियों से चलती गाड़ी न अकेले ही दौड़ाइए।
अहंकार ने गर जकड़ लिया हो, इस को दूर भगाईये।
तेरे मेरे में क्या रखा, सांगिकता अपनाइए।
तनिक मिला जीवन इस जग में,
इस जग को कुछ दे जाइए।।
करता “अनुनय “आह्वान सभी से ,
अपने साथ औरों को भी समझाइए।
तो आइए आइए गीत मेरा यह गुनगुनाते जाइए।
तनिक मिला जीवन इस जग में,
इस जग को कुछ दे जाइए।।
राजेश व्यास अनुनय