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25 Aug 2018 · 1 min read

इस इश्क़ में दरकार कहानी है ज़रूरी

इस इश्क़ में दरकार कहानी है ज़रूरी,

तुम ज़ख़्म अता कर दो निशानी है ज़रूरी,,

इक बात है जो तुझको बतानी है ज़रूरी,,

पर ज़ेहन में मेरे भी तो आनी है ज़रूरी,,

ये तेरी ज़िम्मेदारी है ए काफला सालार,,

सेहराओं का सफर है तो पानी है ज़रूरी,,

कितना ही घना क्यू ना हो अब राह का जंगल,

लेकिन मिरी मंज़िल मुझे पानी है ज़रूरी,,

मुजरिम है कौन दोनों में ये तो पता नहीं,

मिरे लिये तो फिर भी कहानी है ज़रूरी,,

ख़ुश्की पे हवा रहने न देगी कोई मंज़र,

आँखें हैं मिरे पास तो पानी है ज़रूरी,,

अर्पित शर्मा “अर्पित”..

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