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24 Mar 2020 · 1 min read

इश्क़ में हर जंग क़बूल है मुझे जहाँ की हर शर्त मंज़ूर है मुझे

इश्क़ में हर जंग क़बूल है मुझे
जहाँ की हर शर्त मंज़ूर है मुझे

मैंने हर वक़्त बस तुझे ही सोचा है
ख्यालों में भी हर वक़्त मंज़ूर है मुझे

तेरे संग गुज़ारा हर मंज़र ताज़ा है
तेरे संग कल में रहना मंज़ूर है मुझे

ज़िंदा ख़्वाब आज भी तेरे बिन अधूरे है
आज भी फ़रेबी दुनिया का सच मंज़ूर है मुझे

तू बिता मंज़र सही, ज़ख्म आज भी ताज़ा है
मयकश बन तेरे लिए फिरना मंज़ूर है मुझे

आशियाने की तलाश, का भटकता मुसाफिर हूँ
साकी की तलाश में भटकना मंज़ूर है मुझे

भूपेंद्र रावत

2 Likes · 1 Comment · 185 Views
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