इश्क ग़ज़ल
इश्क़
इश्क में रूठ कर हम उनसे कहाँ जाएँगे।
वो होंगे जिस शहर में बैठे हम वहाँ जाएँगे।।।।
हमे नही चाहिये आलीशान मकाँ रहने को।
वो रखें जिस हाल में खुशी से वही हम नहा जाएंगे।।
जाएंगे छोड़कर जब ओ दामन मेरा यहां से,
हम अश्कों की धारा बहा जाएंगे।।।।।।
रोक लेंगे उनके बढ़ते कदम को दौड़कर सदा के लिये।
नजरों से नजरें मिलाकर दिल मे उन्हें बसा जाएंगे।।
सोनू नही कोई उनके सिवा तुम्हारा इस शहर में।
वो रूठे भी हमसे तो हम हँसा जाएंगे।।।।।।
रचनाकार
गायत्री सोनू जैन
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