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20 Aug 2017 · 1 min read

इश्क (मुक्तक )

तेरे इंतज़ार में जागती इन आँखों को,
देखा है अश्क-ऐ-गुहर से भरी महो-अंजुम की नज़रों नेे।
और ज़रा सी आहट पर तपते फर्श पर,
दौड़ते हुए देखा है इन उरियां पैरों को आफताब नेे।
मुहोबत में तेरी शैदा हुए दिल को मगर,
देखा नहीं सिर्फ तेरी नज़रों नेे।

Language: Hindi
1 Like · 280 Views
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