क्योंकि है इश्क की दवा ही नहीं
क्योंकि है इश्क की दवा ही नहीं
दर्द दिल का कभी दबा ही नहीं
प्यार की राह में जो हम भटके
फिर कोई रास्ता मिला ही नहीं
सीख जब तुम गये हमें पढ़ना
अनकहा फिर तो कुछ रहा ही नहीं
धर्म में नाम पर बँटे हैं सब
फ़र्क़ पर खून में दिखा ही नहीं
तोड़ भी डाला दिल तेरी खातिर
नाम तेरा मगर मिटा ही नहीं
खो दिया एक बार जब तुझको
ज़िन्दगी में तो कुछ बचा ही नहीं
स्वर सजाये थे ‘अर्चना’ ने भी
पर किसी ने उन्हें सुना ही नहीं
डॉ अर्चना गुप्ता
31-10-2017