— इरादा मजबूत रखो —
जिन्दगी का नाम ही जुआ है
कब हरा देती है
और कब जीता देती है
किस को कब गिरा देती है
जब चाहे उठा देती है
संघर्ष न किया तो क्या किया
किसी का सामना न किया
तो क्या किया
डट के सामने न आये
तो क्या किया
होंसला अपना पस्त
किया तो क्या किया
इरादा ऐसा रखो
जो न हो सके वो भी करो
न डरो, न पीछे हटो
कदम सदा आगे रखो
निराश होना मंजिल नही
रूक जाना जिन्दगी नही
सर झुका दे किसी का
तेरा झुक जाए ये
तेरी फितरत नही
बल रखो , निडर बनो
इक नए मजबूत इरादे संग
बस चलते चलो
रात हो या दिन,
आंधी हो या तूफ़ान
बरखा हो या गर्म धूप
हर सर्द रात का सामना करो
इरादा मजबूत करो
बेखौफ्फ़ आगे बढ़ते चलो.
अजीत कुमार तलवार
मेरठ