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5 May 2021 · 1 min read

” इबादत “

अल्मतो-मर्ज़ से, हे ईश, दे शिफ़ा सब को,
रहमतें अपनी, ख़ुदाया, तू कर अता सब को।

गुनाह माफ़ कर, बन्दे हैं हम, तिरे नादाँ,
फ़ैज़-ए-अज़्म का, तेरे है यूँ, पता सब को।

भले तूफ़ाँ हो रूबरू, या ज़लज़ला हो कोई,
दौरे-मुश्किल से दे, लड़ने का, हौसला सबको।

तिरे ही अक्स से, रौशन है, कायनातो-दहर,
ग़रूरो-नाज़ है बेजा, पता चला, सब को।

शजर मेँ तू, बहर मेँ तू, हरेक बशर मेँ तू,
बक़ा है तू ही, हुआ इल्म-ए-फ़ना, सब को।

निराश मन मेँ ज्यूँ, “आशा” की,हो किरन कोई ,
नई सुबह सा, दे तू, जोश-ए-नवा, सब को।

अल्मतो # लक्षण, symptoms
फ़ैज़-ए-अज़्म # महान दानशीलता, great mercifulness
दहर # सँसार, world
शजर # पेड़, tree
बहर # समन्दर, ocean
बशर # व्यक्ति, person
बक़ा # अमर,शाश्वत , immortal
इल्म-ए-फ़ना # नश्वरता, विनाशशीलता का ज्ञान, sense of getting destroyed
जोश-ए-नवा # नया उत्साह, new enthusiasm

——//——//——-//——-//——-//——-

रचयिता-

Dr.asha kumar rastogi
M.D.(Medicine),DTCD
Ex.Senior Consultant Physician,district hospital, Moradabad.
Presently working as Consultant Physician and Cardiologist,sri Dwarika hospital,near sbi Muhamdi,dist Lakhimpur kheri U.P. 262804 M.9415559964

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