इबादत की तरह
जिंदगी परेशान कर देती है , बचपन की शरारत की तरह।
काश प्रेम जिंदा हो इस जहाँ में , माँ की चाहत की तरह ।
माँ को माँ की तरह देखा तो ये खयाल आया,
माँ तेरा खयाल ताउम्र रहे ,मेरे जेहन में इबादत की तरह ।
– सिद्धार्थ पाण्डेय
जिंदगी परेशान कर देती है , बचपन की शरारत की तरह।
काश प्रेम जिंदा हो इस जहाँ में , माँ की चाहत की तरह ।
माँ को माँ की तरह देखा तो ये खयाल आया,
माँ तेरा खयाल ताउम्र रहे ,मेरे जेहन में इबादत की तरह ।
– सिद्धार्थ पाण्डेय