Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Jan 2017 · 1 min read

इनायत (ग़ज़ल)

ग़ज़ल
—–
मुझपे इनायत जो तेरी बनी रहे।
मेरे जीने की हसरत बनी रहे।

तेरी इबादत ही है करम अपना।
ये हमेशा मेरी आदत बनी रहे।

पाएं रूतबा-ए-शौहरत हम भी।
ग़र जहॉ में शराफत बनी रहे।

आदत हो मेरी बस चाह तेरी।
ये दुनिया मेरी जन्नत बनी रहे।

मेरी जां भी तुम तुम्ही मौला!
दिल पे तेरी हुकूमत बनी रहे।

ख़िदमत को तेरी मेरे-ए-खुदा।
जिस्म नुमा इमारत बनी रहे।

सरस़ब्ज़ रहे ये बग़िया यूंही।
जो तेरी हमपे रहमत बनी रहे।

सुधा भारद्वाज
विकासनगर उत्तराखण्ड

1 Like · 1 Comment · 247 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जिंदगी की उड़ान
जिंदगी की उड़ान
Kanchan verma
लिये मनुज अवतार प्रकट हुये हरि जेलों में।
लिये मनुज अवतार प्रकट हुये हरि जेलों में।
कार्तिक नितिन शर्मा
"जगदलपुर"
Dr. Kishan tandon kranti
गीतिका
गीतिका "बचाने कौन आएगा"
लक्ष्मीकान्त शर्मा 'रुद्र'
हर वर्ष जला रहे हम रावण
हर वर्ष जला रहे हम रावण
Dr Manju Saini
बेटी उड़ान पर बाप ढलान पर👸👰🙋
बेटी उड़ान पर बाप ढलान पर👸👰🙋
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
आ गई रंग रंगीली, पंचमी आ गई रंग रंगीली
आ गई रंग रंगीली, पंचमी आ गई रंग रंगीली
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
Typing mistake
Typing mistake
Otteri Selvakumar
द्रोपदी फिर.....
द्रोपदी फिर.....
Kavita Chouhan
Expectations
Expectations
पूर्वार्थ
"स्कूल चलो अभियान"
Dushyant Kumar
बेटी को मत मारो 🙏
बेटी को मत मारो 🙏
Samar babu
तुम मुझे दिल से
तुम मुझे दिल से
Dr fauzia Naseem shad
💐प्रेम कौतुक-558💐
💐प्रेम कौतुक-558💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
शिवाजी गुरु समर्थ रामदास – बाल्यकाल और नया पड़ाव – 02
शिवाजी गुरु समर्थ रामदास – बाल्यकाल और नया पड़ाव – 02
Sadhavi Sonarkar
जिंदगी
जिंदगी
sushil sarna
फ़ब्तियां
फ़ब्तियां
Shivkumar Bilagrami
When life  serves you with surprises your planning sits at b
When life serves you with surprises your planning sits at b
Nupur Pathak
धड़कूँगा फिर तो पत्थर में भी शायद
धड़कूँगा फिर तो पत्थर में भी शायद
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
विचार
विचार
Godambari Negi
हार से डरता क्यों हैं।
हार से डरता क्यों हैं।
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
2358.पूर्णिका
2358.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
उलझते रिश्तो में मत उलझिये
उलझते रिश्तो में मत उलझिये
Harminder Kaur
*पिताजी को मुंडी लिपि आती थी*
*पिताजी को मुंडी लिपि आती थी*
Ravi Prakash
सफलता
सफलता
Dr. Pradeep Kumar Sharma
* विदा हुआ है फागुन *
* विदा हुआ है फागुन *
surenderpal vaidya
■ #NETA को नहीं तो #NOTA को सही। अपना #VOTE ज़रूर दें।।
■ #NETA को नहीं तो #NOTA को सही। अपना #VOTE ज़रूर दें।।
*Author प्रणय प्रभात*
तेरे प्यार के राहों के पथ में
तेरे प्यार के राहों के पथ में
singh kunwar sarvendra vikram
मेरी जिंदगी में जख्म लिखे हैं बहुत
मेरी जिंदगी में जख्म लिखे हैं बहुत
Dr. Man Mohan Krishna
सूझ बूझ
सूझ बूझ
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
Loading...