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29 Nov 2019 · 1 min read

इतिहास बाकी है

मेरी आंखों में देखो तुम अभी एक प्यास बाक़ी है ।
सभी मिल कर रहे यार अब यही एहसास बाक़ी है ।।

मैं महलों में रहूं बेश़क मगर यह जानता यारों ।
समय ऐसा भी आता है जहां बनवास बाक़ी है ।।

नहीं हमको उड़ा सकता कोई तूफ़ान भी तब तक ।
धरा पर जब तलक जिंदा फ़कत विश्वास बाक़ी है ।।

ग़रीबी में हुआ पैदा मगर हिम्मत नहीं हारी ।
उसी इंसान का यारों यहां इतिहास बाक़ी है ।।

सियासत ने जो घोला ‘देव’ विष हिंदू मुसलमां का।
अमन बात हो दिल में यही मधुमास बाक़ी है।।

—- कवि देवेंद्र शर्मा ‘देव’

3 Likes · 2 Comments · 464 Views
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