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13 Dec 2018 · 1 min read

इज्जत बचाती एक लड़की

आजके समय बेटियां कहीं भी सुरक्षित नहीं है,इस संदर्भ में अपने विचार इस कविता के माध्यम से कहने का प्रयास किया है।
—————————————————————————-
“इज्ज़त बचाती एक लड़की”
—————————————————————————-
स्कूल जाती
कसमसाथी
सकुचाती
शर्माती
न जाने
क्या क्या
जतन करती
इज्जत बचाती
वो सांवली सलोनी
सी लड़की

गली के
लड़के
राह रोके
छेड़ते
लोग देखते
न कुछ कहते
सहती
फब्ती
डर कर
निकल जाती
वो सांवली
सलोनी
सी लड़की

बस मे
मैट्रो मे
अनचाही
छुअन से
नंगी आंखों
से घूरते
अंत तक छोड़ेथे
वो बेचारी
बचती बचाती
रुआंसी
वो सांवली
सलोनी
सी लड़की

जहां देखते
वहीं नोचते
खसोटते,रौंदते
देह नहीं
वोरा मांस का
समझ झपटथे
पर रोती
बिलखती
कुछ न कर पाती
वो सांवली
सलोनी
सी लड़की
—————————————-
राजेश’ललित’शर्मा

Language: Hindi
7 Likes · 2 Comments · 269 Views
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