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26 Dec 2017 · 1 min read

#इक_सयाना_चाहता_हूँ

★★★★
मैं घरों घर इक सयाना चाहता हूँ।
फिर बुजुर्गों का .जमाना चाहता हूँ।।
★★★★
खो गये एकल जहाँ में सब के सब ही,
मैं सभी को घर … बुलाना चाहता हूँ।।
★★★★
चार दिन विश्वास के…रिश्ते न निभते।
जिंदगी सारी.. बिताना चाहता हूँ।।
★★★★
हर कदम तू संग चल मुझ पे यकीं कर,
संग तेरेे घर… बसाना चाहता हूँ।।
★★★★
चल नये युग का नया अंदाज भर ले।
मैं भरा पूरा घराना चाहता हूँ।।
★★★★
मुफ़लिसी भी मिट सके मेरे वतन में।
मुफ़लिसों का अब ठिकाना चाहता हूँ।।
★★★★
क्या भला औकात उसकी लूट भी ले।
मैं उसे अपनी दिखाना चाहता हूँ।।
★★★★
रब मुझे औकात से ज्यादा न देना।
मैं दिलों में रब बिठाना चाहता हूँ।।
★★★★
हो नुमाइश भी नहीं अब गीत में #जय।
सबके होठों नव तराना चाहता हूँ।।
★★★★
संतोष बरमैया #जय

1 Like · 487 Views
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