इक तरफ़ा मोहब्बत
जब भी तुझे देखता हूँ, मेरी उमर के साल गिर जाते है ।
इज़हारे मोहब्बत के स्पर्श, मेरे गालों पर छप आते है।।
तेरे लबों की छाप और स्पर्श को दिल मे सँजोये रखा है ।
जब भी कोई उर्वशी देखता हूँ, पुराने जज़्बात उभर आते है।।
सांवरा सा मुखड़ा, ज़िस्म कसी हुई नाव सा अल्हड़ ।
तेरे हर चप्पू पर, दिल की झील में कई भवर निकल आते है ।।
मोहब्बत के एहसास को, प्याज की परतों की तरह लिखता रहा ।
मगर तू समझ ना सकी, और मेरे आँसू निकल आते है।।
इस एक तरफा प्यार की वारिश में, मैं ही भीगता रहा ता उम्र ।
जब भी तुझे भिगाने की कोशिस की, तेरे छाते निकल आते है ।।
तुझे जब जब मिला, स्कूल के बाहर,सड़क या पार्क में मिला ।
मेरी आशिकी को देख, तेरे अनजाने भाई हर जगह निकल आते है ।।