Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Apr 2021 · 3 min read

इंसानियत

दंगे के विरोध में मोहल्ले के चार घनिष्ठ मित्र एकजुट हुए। संयोग से चारों मित्र अलग-अलग धर्मों के मानने वाले थे। उन्होने एक बैनर बनवाया, जिस पर लिखा था — “मानवता पर रहम करो, दंगा ख़त्म करो।”

चारों संयुक्त स्वर में नारे लगाते गुए बैनर उठाये सड़क पर चलने लगे। शहर में दंगे का खौफ अब भी पसरा हुआ था। इसलिए कर्फ़्यु में ढील के बावजूद कोई भी घर से बाहर निकलने का जोखिम नहीं उठा रहा था। लोग-बाग अभी भी डरे-सहमे घरों में दुबके बैठे हैं। पता नहीं, कब कहाँ से, कौन-सी बल टूट पड़े? इंसान तो इंसान कालोनी के आवारा कुत्ते तक न जाने कहाँ ग़ायब थे। चारों तरफ दृष्टि पड़ने पर लुटे हुए घर … उजड़ी हुई दुकानें … यत्र-तत्र टूटी-फूटी गाड़ियाँ। गाड़ियों के बिखरे हुए शीशे। जले हुए ट्रक और बसों के अवशेष … सारी चीज़ें कुल मिलाकर दंगों की दर्दनाक कहानी बयान कर रही थी।

“खून-ख़राबा बंद करो। मानवता पर रहम करो। दंगा ख़त्म करो।” यकायक चारों मित्र तेज स्वर में नारे लगाने लगे।

“कौन हो तुम लोग?” सड़क किनारे घायल पड़े व्यक्ति का स्वर उभरा।

“मै हिन्दू हूँ … राम सिंह नाम है मेरा।” पहला व्यक्ति बोला।

“मै रहीम ख़ान … कट्टर सुन्नी मुसलमान हूँ।” दुसरे ने कहा।

“ओ बादशाहो अस्सी सरदार खुशवंत सिंह … अमृतधारी सिख, वाहे गुरु दा खालसा, वाहे गुरु दी फ़तेह।” पगड़ी ठीक करते हुए सरदार जी बोले।

“और मै जीसस क्राइस्ट को मानने वाला इसाई जॉन डिसूजा हूँ।” चौथे ने अपने गले पर लटके लाकेट को चूमकर कहा। जिस पर सलीब में लटके ईसा मसीह का चित्र था।

“अफ़सोस तुम चारों में से कोई भी इंसान नहीं है,” उसने मायूसी से कहा,

“तुममे से एक ने भी नहीं कहा–मै इंसान हूँ। मेरा धर्म इंसानियत है।”

“तुम्हारा क्या मतलब है?” राम सिंह चौंका, “यह बैनर नहीं देख रहे हो। जो हमने दंगे के विरोध में उठाया है … सिर्फ़ मानवता को बचाने के लिए, और तुम कहते हो हम इंसान नहीं हैं। अलग-अलग धर्मों के होते हुए भी हम चारों मित्र एक साथ खड़े हैं सिर्फ़ इंसानियत की ख़ातिर।”

“यह धर्म ही तो है, जिसके कारण आज मानवता का अस्तित्व संकट में पड़ गया है। जब तक आदमी मजहबी चोला पहने हुए है कभी इंसान नहीं बन सकता,” उसने दर्द से कराहते हुए कहा।

“लेकिन तुम्हारी ये हालत की किसने?” रहीम ने पूछा।

“धर्म के ठेकेदारों ने … उन्होने पूछा तुम कौन हो? मैंने कहा, मैं तुम्हारी तरह इंसान हूँ। उन्होने फिर पूछा तुम्हारा धर्म क्या है? मैंने कहा — इंसानियत … और उन्होने मुझे छूरा मार दिया। यह कहकर कि स्साला स्याणा बनता है। ये देखो मेरे घाव …,” कहकर उसने करवट बदली। आधे से ज़्यादा चाकू पेट में घुसा हुआ था और उसके नीचे की धरती लाल थी।

“अरे तुम्हारा तो काफी खून बह गया है, तुम्हे तो अस्पताल …,” मगर आधे शब्द राम सिंह के मुंह में ही रह गए क्योंकि इंसानियत दम तोड़ चुकी थी और चारों मित्रों ने बैनर को कफ़न में तब्दील कर दिया।

राम सिंह के दिमाग़ में गोपालदास “नीरज” की ये पंक्तियाँ गूंजने लगीं, जो उसने किसी कवि सम्मलेन में सुनी थीं–

अब तो मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाये जिसमे इंसान को इंसान बनाया जाये….

Language: Hindi
1 Like · 4 Comments · 373 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
View all
You may also like:
అమ్మా తల్లి బతుకమ్మ
అమ్మా తల్లి బతుకమ్మ
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
ना जाने कौन से मैं खाने की शराब थी
ना जाने कौन से मैं खाने की शराब थी
कवि दीपक बवेजा
विश्व कविता दिवस
विश्व कविता दिवस
विजय कुमार अग्रवाल
मौहब्बत क्या है? क्या किसी को पाने की चाहत, या फिर पाकर उसे
मौहब्बत क्या है? क्या किसी को पाने की चाहत, या फिर पाकर उसे
पूर्वार्थ
झोली मेरी प्रेम की
झोली मेरी प्रेम की
Sandeep Pande
इसलिए तुमसे मिलता हूँ मैं बार बार
इसलिए तुमसे मिलता हूँ मैं बार बार
gurudeenverma198
उठाना होगा यमुना के उद्धार का बीड़ा
उठाना होगा यमुना के उद्धार का बीड़ा
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
दिवस नहीं मनाये जाते हैं...!!!
दिवस नहीं मनाये जाते हैं...!!!
Kanchan Khanna
राम आए हैं भाई रे
राम आए हैं भाई रे
Harinarayan Tanha
2357.पूर्णिका
2357.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
"फिर"
Dr. Kishan tandon kranti
बाबू जी
बाबू जी
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
Moral of all story.
Moral of all story.
Sampada
मेरी साँसों से अपनी साँसों को - अंदाज़े बयाँ
मेरी साँसों से अपनी साँसों को - अंदाज़े बयाँ
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
// श्री राम मंत्र //
// श्री राम मंत्र //
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
तेरी आदत में
तेरी आदत में
Dr fauzia Naseem shad
'क्यों' (हिन्दी ग़ज़ल)
'क्यों' (हिन्दी ग़ज़ल)
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
ऐ सुनो
ऐ सुनो
Anand Kumar
**मन में चली  हैँ शीत हवाएँ**
**मन में चली हैँ शीत हवाएँ**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सपना
सपना
Dr. Pradeep Kumar Sharma
जग जननी
जग जननी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
सूर्य अराधना और षष्ठी छठ पर्व के समापन पर प्रकृति रानी यह सं
सूर्य अराधना और षष्ठी छठ पर्व के समापन पर प्रकृति रानी यह सं
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
बारिश की बूंदों ने।
बारिश की बूंदों ने।
Taj Mohammad
मुक्तक।
मुक्तक।
Pankaj sharma Tarun
*त्रिशूल (बाल कविता)*
*त्रिशूल (बाल कविता)*
Ravi Prakash
दोहा-विद्यालय
दोहा-विद्यालय
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
दो सहोदर
दो सहोदर
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
* आ गया बसंत *
* आ गया बसंत *
surenderpal vaidya
बुद्धत्व से बुद्ध है ।
बुद्धत्व से बुद्ध है ।
Buddha Prakash
सफर अंजान राही नादान
सफर अंजान राही नादान
VINOD CHAUHAN
Loading...