Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Feb 2017 · 3 min read

इंतज़ार

अक्सर तुम कहा करते थे कि तुम सीधे सीधे शब्दों का इस्तेमाल किया करो। यूँ पहेलियों में बातें न किया करो और तब मैं बस इतना ही कह पाती थी कि, मेरे ये कुछ शब्द ही तुम्हारे पास रह जायेंगे अगर, मैं चली गई तो।

और तुम जब भी तन्हा होगे मेरे शब्दों को याद कर हँसा करोगे क्यू की, मैं नहीं चाहती की तन्हाइयों में भी तुम्हें तकलीफ़ हो और तुम कह देते ये तो महज़ बस कहने की बातें है ऐसा कुछ नहीं होगा। और मैं बस मुस्कुरा दिया करती थी ।

आज लंबे समय के बाद तुमने जब चैट पर “हेल्लो” बोला तो बहुत सी यादें ताजा हो गई। और मैं अपनी यादों के गुलदस्ते से कुछ मुरझाए तो कुछ, ताजा फूलों को चुनने लगी। उस वक़्त में पहुँच गई जब तुमने कभी कहा था कि नीला तुम हमेशा ऐसी ही रहना क्यू की तुम मुझे ऐसीे ही अच्छी लगती हो। उस वक़्त मुझे पता था कि तुम फ्लर्ट कर रहे हो, पर मैं बस मुस्कुरा कर रह गयी क्यू की हक़ीक़त जानती थी। और तुमने भी तो मुझे यही सोच कर पटाने की रिझाने की कोशिश की, की अकेली है ज़ल्दी मान जायेगी। पर मुझे तो पता था तुम नशे में हो और शायद थोड़े बीमार भी।

ठीक उसी तरह बीमार, जिस तरह अक्सर इंसान अकेला होने पर हो जाता है। बस इसलिए तुम्हें सिर्फ़ सुना करती थी और सोचती थी चलो, अगर मेरे मुस्कुराने से और सुनने से किसी का अच्छा होता है तो इससे मुझे क्या तकलीफ़ है पर, पता नहीं कब और कैसे तुम मेरे दिल के बंद दरवाज़े में समाते चले गए और मैं कब….मोम की तरह पिघलती गई….कब, दोस्ती को प्यार समझ लिया और कब, उस प्यार को हक़ समझ बैठी।

उस दिन बहुत दर्द हुआ था जब तुमने कहा था कि तुम मेरे क़ाबिल नहीं। तुमने मुझे टिस्यू पेपर की तरह इस्तेमाल करके फेंक दिया। और मैं अलग ही नहीं कर पा रही थी खुद को तुमसे। तमाम कोशिशों के बाद भी कहीँ एक उम्मीद थी पर, वो भी टूट गई जब तुमने फोन करके कहा “मैंने, शादी कर ली है”।

मैं काफी दिनों तक मौन रोती रही। और फिर ख़ुद को समझा लिया की मैं किसी के क़ाबिल नहीं। मैं तो नीला आकाश हूँ जो बस, सहारा बन सकता है किसी का साथ नहीं। और फिर मैं लौट आई अपनी ही दुनिया में। जहाँ मैं थी और मेरा अंश।

हाँ, मेरे पति ने भी तो यही कहा था कि मैं उसके क़ाबिल नहीं और फिर तुमने भी कहा। और आज उम्र के इस मोड़ पर तुम दोनों मिले मुझे और दोनों ने बस इतना ही कहा “लौट आओ नीला”।

अब मैं सवाल करती हूँ, “किसके पास लोटूँ ..?
उसके पास जिसने मेरे ज़िस्म पर इतने घाव किये जो आज नासूर बन बैठें है। या उसके पास जिसने दिल में इतने ज़ख़्म दिए की यक़ीन से यक़ीन ही ख़त्म हो गया।
आज जब तुम अकेले हो गए तो मेरी याद आ गई…। जब सब ने तुम्हारा साथ छोड़ा तो नीला के पास आना चाहते हो।

पर मैं क्यू वापस लौट आऊँ…….??
ज़िन्दगी के सारे बसन्त मैंने अकेले काट दिए। ज़माने के तानों को अकेले सहा। हर सुख दुःख का साथी ख़ुद को बनाया फिर आज जब तुम्हें मेरी ज़रूरत है तो तुम ये चाहते हो कि मैं फिर से आज तुम्हारा साथ बन जाऊँ।

नहीं, अब नहीं।
और सुनों आज जो मेरे शब्द तुम्हें सच्चे लग रहे हैं वो वास्तव में सचे थे। पर तब तुम्हें इनकी कद्र नहीं थी और आज तुम्हें मेरे इन्हीं शब्दों से प्यार है। इसलिए मुझे भूल नहीं सकते। ऐसा ही कहना हैं न तुम्हारा मुझसे। पर मैं किस प्यार के लिए किस वज़ह के लिए लौट आऊँ। है कोई वज़ह तुम्हारे पास…?? कोई एक वज़ह भी है तो बताओ…..??
रजत चुपचाप नीला को सुनता रहा और बस इतना ही बोल सका “प्लीज़ तुम बेवज़ह ही लौट आओ”।

फिर दोनों कुछ समय शांत एक दूसरे की धड़कन को सुनते रहे और फिर अचानक से नीला ने तेज़ आवाज़ में कहा “अलविदा” और फ़ोन रख दिया। बिना किसी इंतज़ार के। क्योंकि सही मायने में आज उसका इंतज़ार ख़त्म हो चूका था।

Language: Hindi
2 Likes · 482 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सुरक्षित भविष्य
सुरक्षित भविष्य
Dr. Pradeep Kumar Sharma
कुंती कान्हा से कहा,
कुंती कान्हा से कहा,
Satish Srijan
भीगे अरमाॅ॑ भीगी पलकें
भीगे अरमाॅ॑ भीगी पलकें
VINOD CHAUHAN
"साजन लगा ना गुलाल"
लक्ष्मीकान्त शर्मा 'रुद्र'
असुर सम्राट भक्त प्रह्लाद – आविर्भाव का समय – 02
असुर सम्राट भक्त प्रह्लाद – आविर्भाव का समय – 02
Kirti Aphale
दिल पर किसी का जोर नहीं होता,
दिल पर किसी का जोर नहीं होता,
Slok maurya "umang"
💐प्रेम कौतुक-269💐
💐प्रेम कौतुक-269💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
"मकड़जाल"
Dr. Kishan tandon kranti
■ मानवता से दानवता की ओर जाना काहे का विकास?₹
■ मानवता से दानवता की ओर जाना काहे का विकास?₹
*Author प्रणय प्रभात*
2- साँप जो आस्तीं में पलते हैं
2- साँप जो आस्तीं में पलते हैं
Ajay Kumar Vimal
गुरु से बडा ना कोय🙏
गुरु से बडा ना कोय🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
आंखों की भाषा के आगे
आंखों की भाषा के आगे
Ragini Kumari
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
तरुण वह जो भाल पर लिख दे विजय।
तरुण वह जो भाल पर लिख दे विजय।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
"I'm someone who wouldn't mind spending all day alone.
पूर्वार्थ
2926.*पूर्णिका*
2926.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
" मुस्कराना सीख लो "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
अन्नदाता किसान
अन्नदाता किसान
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
कर दिया
कर दिया
Dr fauzia Naseem shad
प्राण प्रतीस्था..........
प्राण प्रतीस्था..........
Rituraj shivem verma
कुछ फूल तो कुछ शूल पाते हैँ
कुछ फूल तो कुछ शूल पाते हैँ
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
!! पत्थर नहीं हूँ मैं !!
!! पत्थर नहीं हूँ मैं !!
Chunnu Lal Gupta
गर बिछड़ जाएं हम तो भी रोना न तुम
गर बिछड़ जाएं हम तो भी रोना न तुम
Dr Archana Gupta
रक्षा में हत्या / मुसाफ़िर बैठा
रक्षा में हत्या / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
अति मंद मंद , शीतल बयार।
अति मंद मंद , शीतल बयार।
Kuldeep mishra (KD)
कभी अंधेरे में हम साया बना हो,
कभी अंधेरे में हम साया बना हो,
goutam shaw
गाथा बच्चा बच्चा गाता है
गाथा बच्चा बच्चा गाता है
Harminder Kaur
Mai koi kavi nhi hu,
Mai koi kavi nhi hu,
Sakshi Tripathi
नहीं है पूर्ण आजादी
नहीं है पूर्ण आजादी
लक्ष्मी सिंह
दूसरों के कर्तव्यों का बोध कराने
दूसरों के कर्तव्यों का बोध कराने
Dr.Rashmi Mishra
Loading...