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2 Jun 2021 · 1 min read

आ रे बादल काले बादल

आ रे बादल काले बादल

वर्षा ऋतु मस्त आया
किसानों के मुस्कुराहट लाए
मिट्टी की सोंधी खुशबू जगा
आ रे बादल काले बादल।

छम- छम करके बरस
प्यास धरती की बूझा
गर्मी को दूर भगा
आ रे बादल काले बादल।

नदियों को भी है आभास
तालाबों का उम्मीद कम नहीं
नहर भी देखे राह तुम्हारी
आ रे बादल काले बादल।

छतरी वाले को तेरा इंतजार
नया जीवन की तलाश
मर्जी तेरी चलती हैं
आ रे बादल काले बादल।

रिमझिम- रिमझिम आए तू
मयूर को आया मजा बहुत
नाचे पंख पसार के
आ रे बादल काले बादल।

खेत- खलियान की शान
बगीचा का माली का सम्मान
झुलें पेड़ों पर टंगी पड़ी
आ रे बादल काले बादल।

कागज की डोगी बनी बड़ी
बस तेरा आना इंतजार
छुटपन की प्यारी सी एहसास
आ रे बादल काले बादल।।

गौतम साव

3 Likes · 8 Comments · 1115 Views
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