आ भी जाऔ
आ भी जाऔ कि मुझे कोई साँस मिले।
दफन कर गये हो अपनी यादों के तले।
जिन्दा है ये गुमाँ अभी बाकी है
नब्ज़ ले ले के तेरा नाम चले।
तमन्ना बस यही एक बाकी है
कभी बेबात तू लगाये गले।
महक उठी इशक से फिज़ाये सभी
खत तेरे जब, पिछली रात जले।
बाबस्ता थे जो मुझ से सभी
क्यू लिये तूने,अकेले वो फैसले।
सुरिंदर कौर