आ गया बज़्म में दिलजला देख ले
आज की हासिल
ग़ज़ल
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जिन्दगी का यही फ़लसफ़ा देख ले
हर खुशी ग़म से है वास्ता देख ले
?
साथ दे तू जरा कुछ घड़ी संग चल
दिल मेरा हो गया लापता देख ले
?
ज़ुल्म इतना न कर आज मज़लूम पर
आ न जाए कोई ज़लज़ला देख ले
?
दर्द सहता हूँ तुमसे बिछड़ कर सनम
भूलने वाले आ इक दफ़ा देख ले
?
बह्र में ही है कहना ग़ज़ल को मियाँ
ये रदीफ़ आज का काफ़िया देख ले
?
खो न जाओ कहीं आप इस भीड़ में
दे रहा हूँ तुम्हे़ मशवरा देख ले
?
फिर सुनायेगा वो दास्तां दर्द की
आ गया बज़्म में दिलजला देख ले
?
लौट कर अब तो आजा ऐ “प्रीतम” मेरे
मर न जाए कहीं ग़मज़दा देख ले
?
प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ०प्र०)
06/09/2017
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