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16 May 2021 · 1 min read

आ गई बरसात (गीतिका)

आ गई बरसात (गीतिका)
~~
आ गई बरसात शीतल सा मधुर उपहार लेकर।
तप्त मौसम में सहज राहत भरी बौछार लेकर।

एक पाखी नील नभ में खूब ऊंचा उड़ रहा है।
बादलों के साथ मन में स्नेह का व्यवहार लेकर।

ग्रीष्म ऋतु ले झांकने लगता कभी जब सूर्य नभ से।
मेघ हो जाते उपस्थित रूप नव साकार लेकर।

प्यास धरती की बुझाने का लिए कर्तव्य अपना।
खूब जी भर कर निभाता मेघ निज अधिकार लेकर।

हर तरफ सुन्दर बिछी है दूब मखमल की तरह से।
आ गई श्यामल घटाएं सावनी संसार लेकर।

खूबसूरत मन लुभावन हैं बहुत मादक अदाएं।
बारिशों में बहकता मन स्नेह का सुविचार लेकर।

आसमां में जब कभी हैं घन गरजते गीत गाते।
श्वेत आभा ले तड़ित आती रजत उजियार लेकर।

सुप्त मन के भाव अँगड़ाई लिए हैं जाग उठते।
पांखुरी जैसे अधर पर राग मधु मल्हार लेकर।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
– सुरेन्द्रपाल वैद्य।
मण्डी (हिमाचल प्रदेश)

5 Likes · 8 Comments · 452 Views
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