आज़ादी के मायने ( ग़ज़ल )
आज़ादी के मायने ज़रा हमें कोई समझाए ,
कैसे जिया जाता है घुटन में हमे बताये ?
खौफनाक हालात बने हुए हैं हर तरफ,
ज़िंदा रहने का हक़ गर कोई छीन जाये.
जुबां खोलना भी जहाँ गुनाह हो जाता है,
कुछ भी कहने बस पर हंगामा हो जाये .
इज्ज़त से जी नहीं सकती हमारी बेटियां,
खूंखार भेड़ियों के बीच जिया भी कैसे जाये ?
सियासत जहाँ खुद बनी हुई है कनीज़,
देश की कानून-व्यवस्था फिर कहाँ जाये ?
”सबका साथ सबका विकास ” महज नारा है,
विकास का पता नहीं, साथ किसका कहा जाये ?
संवेधानिक अधिकारों का तो बहुत शोर है बहुत ,
ऐसे में फ़र्ज़ का पलड़ा क्यों ना हल्का हो जाये .
आज कल तो ताकत का ही दौर चल रहा है जनाब!
जिसके हाथ है लाठी ,भेंस भी तो वही ले जाये.