आहिस्ता आहिस्ता
आओ सखी बैठो ना बहुत दिन हुए
बैठो आहिस्ता आहिस्ता ही सही चुगली करते हैं
थोड़ी चुगली इसकी थोड़ी सी उसकी करते हैं
अपने आज के दिन को अच्छा बनाते हैं
औरों के घरों की बातें आज कुरोदते हैं।
आओ सखी बैठो ना बहुत दिन हुए
बैठो आहिस्ता आहिस्ता ही सही चुगली करते हैं
तुम अपने मन की सुनाना, मैं भी अपनी सुनाऊँगी,
छोटी छोटी बातों को चटपटा कर बताऊँगी।
पड़ोसी होने का फ़र्ज़ बस चुगली करके ही निभाऊंगी।
आओ सखी बैठो ना बहुत दिन हुए
बैठो आहिस्ता आहिस्ता ही सही चुगली करते हैं
औरों के घरों में ताकझांक कर सब बताऊंगी
पड़ोस की बेटी की भी बढाकर ही बताऊंगी
उसका बेटा भी बिगड़ैल हैं बिन देखें ही फैलाऊंगी।
आओ सखी बैठो ना बहुत दिन हुए
बैठो आहिस्ता आहिस्ता ही सही चुगली करते हैं
अफवाहें बना सबके घरों की आ आज फैलाये
इसका चक्कर उसका चक्कर आओ आज बतियाये
आओ बैठ कर पड़ोसियों के चरित्र हनन को फैलाये।
आओ सखी बैठो ना बहुत दिन हुए
बैठो आहिस्ता आहिस्ता ही सही चुगली करते हैं
अपनी झूठी बातों को आज फैलाये
सभी को अपनी हरकतों से दुःख पहुँचाये
आओ अच्छे पड़ोसी होने का फर्ज निभाये।
डॉ मंजु सैनी
गाजियाबाद