Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Jun 2019 · 3 min read

**** “आस्था “****

।। ॐ श्री परमात्मने नमः ।।
शीर्षक ;- “आस्था “
ईश्वर की सृष्टि रचना में नारी शक्ति का रूप अदभुत चमत्कारी है अदम्य साहस ,असीमित क्षमता से परिपूर्ण है बस जरूरत है पहचानने की परखने की अटूट आस्था की और आत्म विश्वास की सहनशक्ति की ……
नारी में दया, ममता, क्षमता,प्रेम आदि गुण पर्याप्त मात्रा में मौजूद रहते हैं इन्हीं गुणों के कारण ही हर परिस्थिति में सामंजस्य बनाये रखती है ।
परिवार की खुशियों के लिए किसी भी कार्य करने के लिए निर्णय लेने के लिए चट्टान की तरह से अडिग रहती है वही दूसरी ओर ममता की छाँव में प्यार का सागर उड़ेल देती है नारी शक्ति संसारिक रथ का पहिया है लेकिन नर नारी दोनों ही मिलकर जीवन की गाड़ी को खींचते हैं क्योंकि परिवार की धुरी चक्र कदम से कदम मिलाकर चलने वाली सौगात है।
सुरेश व सुमन के जीवन में कुछ न कुछ बाधाएं आती ही रहती थी लेकिन सारे कष्टों का निवारण माँ विंध्यवासिनी कामनाओं को पूर्ण करते रहती है। सुमन के ससुराल पक्ष में बहुत बड़ा परिवार है सभी तरफ से रिश्तेदारों को निभाते हुए अपनों का ख्याल रखती है
सुरेश का एक बेटा एक बेटी अभी पढ़ रहे हैं सड़क के किनारे कस्बे में रहते थे घर के सामने छोटी सी दुकान खोली थी जिसमें गाड़ी के उपकरणों का सामान एवं लकड़ी का टॉल था
समय का चक्र घूमता हुआ कब कैसे मोड़ ले लेता है पता ही नही चलता है और ना ही बुरा वक्त बतला कर आता है। सुरेश खाना खाकर जरा सा टहलने बाहर निकला ही था वही सड़क के किनारे से बाईक वाले ने ठोकर मार दी और वह गिर पड़े बहुत देर तक जब घर पर दिखाई नहीं दिये तो घर के बाहर निकल कर देखा तो सुरेश अचेत अवस्था में पड़े हुए थे फिर लोगों ने मदद की , सिर पर चोट लगने से खून ज्यादा बहने लगा था गाँव में कोई साधन उपलब्ध नहीं था उसी समय आती हुई वेन में बैठाकर शहर की ओर ले गए वहाँ हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया सभी परिवार वाले चिंतित व परेशान हो रहे थे डॉक्टर ने चेक करके बतलाया सिर में खून का थक्का जम गया है ऑपरेशन करना पड़ेगा परिवार में छोटे बच्चों को कुछ समझ नही आ रहा था उनके रिश्तेदारों ने बहुत मदद की डॉक्टर से फरियाद की गई कि सुरेश का ऑपरेशन अच्छे से किया जाय और कम पैसों में ईलाज हो सके नवरात्रि पर्व चल रहा था सुमन ने अपनी माता रानी माँ विंधेश्वरीसे प्रार्थना की ……”हे माता रानी मेरे सुहाग की रक्षा करना मेरे बच्चों के ऊपर हम सभी के ऊपर कृपा बनाये रखना ” उस समय पैसों की ज्यादा जरूरत होती है डॉक्टर पहले एडवांस में पैसे ले लेते हैं फिर ऑपरेशन करते हैं रिश्तेदारों ने सभी तरह से मदद करते हुए काफी सहयोग किया वो दस दिन बड़ी मुश्किल का दौर था सिर पर गहरी चोट से हालत नाजुक बताई जा रही थी सुमन माता रानी का नाम जपते हुए दिन बीता रही थी खाने पीने का होश ही नही था बस एक ही आस लगाए बैठी थी कि कब सुरेश होश में आयें और कुछ बातें करे तभी दिल को तसल्ली होगी।
सुमन की प्रार्थना माता रानी ने सुन ली थी माँ के दरबार में सुहाग का जोड़ा पूजन सामग्री मंदिर में चढ़ाया सुरेश की हालत धीरे धीरे सुधरने लगी थी ।वापस लौट कर गाँव आने के बाद सोचा अब शहर में ही रहेंगे क्योंकि आने जाने का साधन उपलब्ध नहीं है कुछ दिनों बाद शहर में खुद का घर बनवा लिया अब सारी सुविधाएं मिल रही है।
नवरात्रि पर्व पर माँ के दरबार में ज्योत जलवाया गया माँ की महिमा का चमत्कार बहुत ही निराला है सुरेश को न्या जीवनदान मिल गया है आज सुमन उसके परिवार वाले खुश हैं माँ भक्तों की झोली कभी खालीं नही करती हमेशा सच्चे दिलों से याद करने वाले पर कृपा बरसाती है।
माँ की शक्ति असीम कृपा वरदान देने वाली है जीवन में नई शक्ति प्रदान कर उमंग ,उल्लास से भर देती है।
समुद्री तूफानों की तरह से जब विपदाएँ आती है तो अंतर्मन से आवाज निकलती है और शक्तियों को जागृत कर दिव्य शक्ति का प्रभाव हमारी आत्मा में प्रकाशित कर देती है और सारी परेशानियाँ कष्ट धीरे धीरे दूर होती चली जाती है …..! ! !
स्वरचित मौलिक रचना ??
***शशिकला व्यास ***
#* भोपाल मध्यप्रदेश *#

Language: Hindi
426 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
प्रोटोकॉल
प्रोटोकॉल
Dr. Pradeep Kumar Sharma
त्रिया चरित्र
त्रिया चरित्र
Rakesh Bahanwal
एक बार फिर ।
एक बार फिर ।
Dhriti Mishra
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ: दैनिक समीक्षा* दिनांक 5 अप्रैल
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ: दैनिक समीक्षा* दिनांक 5 अप्रैल
Ravi Prakash
“ जियो और जीने दो ”
“ जियो और जीने दो ”
DrLakshman Jha Parimal
किंकर्तव्यविमूढ़
किंकर्तव्यविमूढ़
Shyam Sundar Subramanian
घे वेध भविष्याचा ,
घे वेध भविष्याचा ,
Mr.Aksharjeet
तितली थी मैं
तितली थी मैं
Saraswati Bajpai
2447.पूर्णिका
2447.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
शाश्वत प्रेम
शाश्वत प्रेम
Bodhisatva kastooriya
दलित समुदाय।
दलित समुदाय।
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
* मिल बढ़ो आगे *
* मिल बढ़ो आगे *
surenderpal vaidya
खुद को संवार लूँ.... के खुद को अच्छा लगूँ
खुद को संवार लूँ.... के खुद को अच्छा लगूँ
सिद्धार्थ गोरखपुरी
*** अरमान....!!! ***
*** अरमान....!!! ***
VEDANTA PATEL
मदमती
मदमती
Pratibha Pandey
युद्ध नहीं जिनके जीवन में,
युद्ध नहीं जिनके जीवन में,
Sandeep Mishra
■ जीवन मूल्य।
■ जीवन मूल्य।
*Author प्रणय प्रभात*
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
पूछी मैंने साँझ से,
पूछी मैंने साँझ से,
sushil sarna
सुंदरता अपने ढंग से सभी में होती है साहब
सुंदरता अपने ढंग से सभी में होती है साहब
शेखर सिंह
गांव के छोरे
गांव के छोरे
जय लगन कुमार हैप्पी
" मिट्टी के बर्तन "
Pushpraj Anant
यूँही कुछ मसीहा लोग बेवजह उलझ जाते है
यूँही कुछ मसीहा लोग बेवजह उलझ जाते है
'अशांत' शेखर
बापू गाँधी
बापू गाँधी
Kavita Chouhan
गुरूर चाँद का
गुरूर चाँद का
Satish Srijan
बारह ज्योतिर्लिंग
बारह ज्योतिर्लिंग
सत्य कुमार प्रेमी
नसीहत
नसीहत
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
मेरी कलम
मेरी कलम
Shekhar Chandra Mitra
ध्यान
ध्यान
Monika Verma
"सुप्रभात"
Yogendra Chaturwedi
Loading...