Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Mar 2020 · 4 min read

आस्था का पर्व नवरात्र

आस्था है बनी हुई ।
मां तुम हरो मेरे आर्त ।
सारा जंहा भक्तिमय हो गया ।
मां आते ही तेरा ये नवरात्र ।
नव ही दिनो मे लगता है जैसे ।
कर लिए हमने सारे पश्चाताप ।
दुर्गा है तू हरने वाली ।
हर लो मां आप हम सबके संताप ।
बढ जाती है कीमत मौसम की ।
नीम, पीपल और तुलसी की ।
घर मे जलाए दीए है ।
तेरा ही स्वरूप मां दिल मे है ।
मां तुम सबसे न्यारी हो ।
हो सारे जग मे तुम प्रिय ।
प्रथम शैलपुत्री मां दिव्य स्वरूप ।
स्वयंप्रभा तुम्ही धरा की बागडोर हो ।
जंगल मे नाचता हुआ मोर हो ।
तुम्ही शाम और भोर हो ।
तुम्ही से रंगित मां सृष्टि की छोर है ।
ब्रह्मचारिणी अद्वितीय स्वरूपम् ।
जो है मां का द्वितीय प्रारूप ।
मां की आभा से मंडित है ।
वसुधा का पूरा कोर ।
मां के सम्मुख रश्मि विस्तृत घोर ।
तृतीय रूप मां चन्द्रघण्टा का ।
अलौकिक रूप उनके दिव्य छटा का ।
जयकारे के नारे से कोना -कोना पोर है ।
मंदिर के घण्टे की शोर है ।
धूपबत्ती से निकला धुंआ ।
जाता सब व्योम है ।
मिन्नत मांगे लोग ।
लगाके मां को भोग ।
जलधार चढाके ।
सुमन बरसाके ।
दीप जलाके ।
चुनरी फहरा के ।
मां के चरणो मे शीश नवाके ।
जो भी है कुछ मांगे ।
समझो वो तो पूर है ।
आपके ही तो कृपा से मईया ।
हम सबका जीवन खुशी से भरपूर है ।
आप के आंखो का तो मां ।
फैला चहूं ओर नूर है ।
चतुर्थ कुष्मांडा मां का रूप है ।
उन्ही के दृष्टिकोण से ।
कोई रंक कोई भूप है ।
वो तो बस अपने कर्मो ।
और मति के पाता अनुरूप है ।
हाथो मे है उनके समृद्धि ।
रोग, शोक को वो हर लेती ।
फैलाती है वो सुख की ज्योति ।
पंचम मुख स्कंदमाता मां ।
सबकी भाग्य विधाता मां ।
तेजो की खान,शक्ति का है निनाद ।
मां को संकट मे जिसने भी पुकारा ।
करती उसका कल्यान है ।
षष्ठम है मां कात्यायनी ।
सृष्टि ने जिनकी महिमा मानी ।
चरणो तले लेट शंभु करते ।
जिनकी रजपानी ।
असुरो का संहार कर ।
कहलायी तू खप्पङवाली ।
मां की महिमा रोज हम गाए ।
गाके पचरा और कव्वाली ।
श्वास खींचकर शंख बजाए ।
दे ताली पे ताली ।
सप्तम कालरात्रि मां ।
थाली मे कर्पूर जला कर आरती ।
बांधते समा ।
जयकारे से करते गान ।
गरबा करके नाच रहा ।
झूम के आज सारा जहान ।
जय माता दी का कर निनाद ।
टोना -टोटका छोङो तुम ।
ये सब है अंधविश्वास ।
मां तेरे ही चरणो मे लेटा रहूंगा ।
जब तक चलती रहेगी सांस ।
मन मे कभी न लाउंगा अभिमान ।
अष्टम महागौरी माता का ।
करते है हम गुणानुनाद ।
गौरी महेश भार्या तुम ।
सारे जग मे हो विख्यात ।
गर साथ हो जिसके आप मां तो ।
कोई न दे पाए उसको मात ।
नई -नई कपोले निकल रही इस ऋतु मे ।
स्वागत करते तरु आपका बारम्बार ।
सिंह है आपकी सवारी ।
गर्जना उसकी निर्भयकारी ।
असुरो के संहार मे ही ।
मां आपने है ये नौ रूप धरी ।
क्लेश तुम हरती ।
श्रद्धा -सबूरी तुम भरती ।
अपने भक्तो का मां रखती ख्याल ।
उनको करती है खुशहाल ।
नवम रूप सिद्धिदात्री मां ।
सबकी करती सिद्धि पूर्ति मां ।
तुममे वो कांति स्फूर्ति मां ।
दुर्गम काज धरा पर कीन्हा ।
दुर्गा नाम सकल जग लीन्हा ।
कर मे शंख, गदा, त्रिशूल है ।
अस्त्र -शस्त्र को धारण कर ।
दैत्यो को करती विध्वंस ।
जिससे फिर उपज न पाए ।
वसुधा पर उनका कोई अंश ।
शोभा को तो और बढाए ।
मां ये तेरा रूप नवल ।
मां तेरा आसन है कमल ।
जो है बेहद स्वच्छ, विमल ।
चीर भी है शुभ्र धवल ।
कैसी है ये आभा मुख पर ।
सम्मुख इसके रवि धूमिलकार ।
मां ये तेरा है चमत्कार ।
संतो की सुनती चीत्कार ।
नव तक ही सब पूर्ण अंक ।
इसके आगे सब निष्कलंक ।
नव से ही नवधा का ज्ञान ।
तेरे चरणो मे लेटकर मईया ।
हर्षित, प्रफुल्लित ये जहान ।
प्रेम से बोलो जय माता दी ।
की गूंज लगाए सब ओर छलांग ।
शब्दो मे है भरा ।
कैसा दिव्य सा उमंग ।
जय माता दी कहते ही ।
सब कष्ट हो गए अंग -भंग ।
कलरव करते उङ रहे ।
सब कीट और विहंग ।
एक बार फिर से बोलो जय माता दी ।
जय हो अपनी देश की मां भारत भूमि ।

??Rj Anand Prajapati ??

Language: Hindi
1 Like · 280 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सोच
सोच
Sûrëkhâ Rãthí
*खादिम*
*खादिम*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
चलो संगीत की महफ़िल सजाएं
चलो संगीत की महफ़िल सजाएं
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
बॉलीवुड का क्रैज़ी कमबैक रहा है यह साल - आलेख
बॉलीवुड का क्रैज़ी कमबैक रहा है यह साल - आलेख
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
*जब से मुकदमे में फॅंसा, कचहरी आने लगा (हिंदी गजल)*
*जब से मुकदमे में फॅंसा, कचहरी आने लगा (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
आप प्रारब्ध वश आपको रावण और बाली जैसे पिता और बड़े भाई मिले
आप प्रारब्ध वश आपको रावण और बाली जैसे पिता और बड़े भाई मिले
Sanjay ' शून्य'
जेठ का महीना
जेठ का महीना
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
शून्य से अनन्त
शून्य से अनन्त
The_dk_poetry
आज तक इस धरती पर ऐसा कोई आदमी नहीं हुआ , जिसकी उसके समकालीन
आज तक इस धरती पर ऐसा कोई आदमी नहीं हुआ , जिसकी उसके समकालीन
Raju Gajbhiye
" प्रिये की प्रतीक्षा "
DrLakshman Jha Parimal
हर लम्हे में
हर लम्हे में
Sangeeta Beniwal
फूल
फूल
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
नौका विहार
नौका विहार
Dr Parveen Thakur
मेरे देश की मिट्टी
मेरे देश की मिट्टी
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
सुविचार
सुविचार
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
प्यार/प्रेम की कोई एकमत परिभाषा कतई नहीं हो सकती।
प्यार/प्रेम की कोई एकमत परिभाषा कतई नहीं हो सकती।
Dr MusafiR BaithA
Jeevan Ka saar
Jeevan Ka saar
Tushar Jagawat
सच्ची  मौत
सच्ची मौत
sushil sarna
#प्रभात_चिन्तन
#प्रभात_चिन्तन
*Author प्रणय प्रभात*
💐प्रेम कौतुक-432💐
💐प्रेम कौतुक-432💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
गुरु की पूछो ना जात!
गुरु की पूछो ना जात!
जय लगन कुमार हैप्पी
3090.*पूर्णिका*
3090.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तुम्हारे हमारे एहसासात की है
तुम्हारे हमारे एहसासात की है
Dr fauzia Naseem shad
*बीमारी न छुपाओ*
*बीमारी न छुपाओ*
Dushyant Kumar
बढ़ती हुई समझ,
बढ़ती हुई समझ,
Shubham Pandey (S P)
Under this naked sky, I wish to hold you in my arms tight.
Under this naked sky, I wish to hold you in my arms tight.
Manisha Manjari
जाम पीते हैं थोड़ा कम लेकर।
जाम पीते हैं थोड़ा कम लेकर।
सत्य कुमार प्रेमी
अमीर-गरीब के दरमियाॅ॑ ये खाई क्यों है
अमीर-गरीब के दरमियाॅ॑ ये खाई क्यों है
VINOD CHAUHAN
एक दिन !
एक दिन !
Ranjana Verma
हृदय की चोट थी नम आंखों से बह गई
हृदय की चोट थी नम आंखों से बह गई
Er. Sanjay Shrivastava
Loading...