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28 Oct 2017 · 1 min read

आसमानी जादूगर

।ये आसमानी जादूगर
कितनी कविताएँ जगाता है
भोर के सूर्य सी
आशाओं की कविता
जो पोर पोर में
पुलक सी जगाती है
भरी दोपहर में
खून के हौसले बढाती
दिल में गुनगुनी
आग की सेंक सी कविता
लहु में बहाता है
सुनहरी शामों को
जि़दंगी में घोलता
पर्त दर पर्त
नींम अँधेरो में
उम्मीद की मौन चादर सी कविता
फैलाता है
ये आसमानी जादूगर
रात का जादू जगाता है
रौशनी के जलवे टाकं देता है
और आसमान के
नीरव वातायन में
चाँदनी सी कविता सजाता है

मीनाक्षी भटनागर
नई दिल्ली
स्वरचित
16,_10_2017

Language: Hindi
270 Views
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