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14 Jun 2021 · 1 min read

आशा और विश्वास

परिंदों के एक जोड़े,
तिनका तिनका है जोड़े;
मेहनत और लगन ने,
नए मोड़ पर ला छोड़े।

आशियाना बना तिनका का,
जीवन और शीर्ण-सा;
वृक्ष की सूखी टहनी पर,
अधर पर लटक रहा ।

स्वप्न का घोंसला,
भय रहा बिखरने का;
सच्चाई से दूर,
रह-रह कर यह कह रहा ।

पवन का एक झोंका,
तोड़ दे न मेहनत का भरोसा;
बस गया संसार,
उस सूखी हुई टहनी पर।

जन्म दिया अंडों से,
परिंदों ने जोड़े को;
बिसर गई याद फिर,
लटके हुए आशियांँ की ।

लगन लगी परवरिश में,
छूटा नहीं साथ ;
तिनका तिनका जोड़ा,
सफल अब लगने लगा ।

पल भर में समय ने,
भेजा एक पिशाच;
हवा का रूप लेकर,
तोड़ दिया सारी आस।

हो गए सब अनजान,
स्वप्न न शान;
परिंदे तो उड़ गए,
छोड़ गए तिनके को ।

लटक रहा जो अधर पर,
टहनी की ओट से;
उजड़ गया सब कुछ,
परिंदे यह सोच रहे ।

आस थी कृपा-निधान,
बचे अब तक उनके प्राण;
मन-ही-मन कर रहे,
धन्यवाद लख-लख बार।

टहनी पर लटका हुआ,
मेहनत और लगन ;
सफल हुए उनके,
वचन और कर्म ।

अब भी जो ताक रहे,
मेहनत की नई आस;
फिर बने नए आस,
करुणामयी देगा साथ ।

रखें खुद पर विश्वास,
यही है अपने पास;
काल से उबारकर,
जीवन देगा वह दान।

परिंदों का यह विश्वास,
कहता बार-बार ;
पवन का झोका,
तोड़ा था मेहनत का आस।

?बुद्ध प्रकाश; मौदहा, हमीरपुर।

Language: Hindi
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