–आशाराम की आशा–
आशाराम की आशा
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आशाराम की आशा,धूमिल हुई निश्चित।
बुरे काम का नतीजा,बुरा रहा सुनिश्चित।।
ऐश किया प्रतिपल जिया,हवस हृदय में सिया।
समझ खुदी को स्वयंभू,खुद को धोखा दिया।।
पाप पुण्य नहीं होता,सच जग से न खोता।
धोखे में रहता सदा,अंत में वह रोता।।
उम्र बिता अब जेल में,दुख न करो खेल में।
हार जीत चले है पर,सच हो कुछ मेल में।।
सुख भोगा बुराई में,दुख भोगिए सच का।
टूट गया भ्रम देख,झूठ भरे कवच का।।
गिला न कर कर्म फल है,प्रभु लीला अचल है।
करनी-भरनी सम भाव,होता क्यों विकल है।।
धोखा सदा माया का,भ्रमित हैं बड़े-बड़े।
करोड़पति रोड़ लखते,यहाँ हैं खड़े-खड़े।।
अब सबक लीजिए ज़रा,जेल साधना भले।
अगले जन्म में ही पर,बुराई डगर टले।।
बाबा जी बन पर स्वच्छ,संज्ञा रहती अमर।
प्रेरणा बने सभी की,गली नगर हर डगर।।
प्रीतम प्रीत प्रभु सात्विक,समझ गौर से तनिक।
वैर वासना छोड़कर,पावन कर मन-मणिक।।
राधेयश्याम बंगालिया “प्रीतम”
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