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7 May 2021 · 1 min read

आशाओं का दीप

आशाओं के दीप
**************
माना कि चहुँओर
घना अँधेरा है,
मन में दहशत,
खौफ का पहरा है,
हर ओर एक अजीब सी खामोशी है
दूर दूर तक नहीं दिखती खुशी है।
आओ मिलकर विश्वास का
फिर से भाव जगायें,
उम्मीदों के साये में
आशाओं का दीप जलाएं।
हर मन में उमंग भरें
बुझते उम्मीदों के दीपक में
विश्वास का तेल भरें
हर किसी की चौखट पर
आशाओं का नया दीप जलाएं।
●सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा, उ.प्र.
81152859
©मौलिक, स्वरचित

Language: Hindi
2 Likes · 210 Views
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