आविष्कार,आवश्यकता कि जननी है
कहते हैं कि आवश्यकता
आविष्कार,आवश्यकता कि जननी है,
और आविषकार नित नये रुप में
मेरे समक्ष आकर,
अपनी सुनहरी तस्वीर प्रस्तुत करते हैं,
और जब भी मैं,
उन्हे अमल में लाना चाहता हुँ,
तो अपने को असहाय पाता हुँ
ससांधनो के अभाव में।
। जयकृष्ण उनियाल