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20 Jan 2021 · 1 min read

कामचोर का बाप (कुण्डलिया छंद)

कामचोर का बाप (कुण्डलिया छंद)
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कहता है हर शास्त्र यह, सुन लो हे इंसान।
मत जाना तुम भूलकर, जहाँ मिले अपमान।
जहाँ मिले अपमान, कि वो घर कैसे छोड़े।
बिना किये जब काम, सदा वह रोटी तोड़े।
इसीलिए हर रोज़, चार बातें है सहता।
कामचोर का बाप, उसे हर कोई कहता।।

पाता है सम्मान यह, इसका उसको नाज।
कामचोर का बाप है, सुस्ती का सरताज।
सुस्ती का सरताज, अगर खाना भी खाता।
ना धोये वह हाँथ, नहीं मंजन अपनाता।
सड़ते हैं जब दाँत, जोर से है चिल्लाता।
डर जाते हैं लोग, दर्द वह इतना पाता।।

– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 19/01/2021

2 Likes · 7 Comments · 548 Views
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