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13 Nov 2017 · 1 min read

आरजूं दिल कि

तरही गज़ल
2122 1212 22

फैसला है यहीं दीवाने का l
शहर से गाँव लौट आने का ll

सामने है चुनाव फ़िर कोई l
बख्त जागा गरीबखाने का ll

साजिशे रच रहा है इंसाँ भी l
अब खुदी को खुदा बनाने का ll

उम्रे रफ्ता न याद कर ऐ दिल l
वक्त है हँसने मुस्कुराने का ll

जब भी ऐ दिल उदास हो जायें l
वक्त है समझो गीत गाने का ll

मुश्किलों पे भी हँसके जी लेंगे l
साथ हो गर मेरे दीवाने का ll

आरजूं दिल कि बस यहीं यारों l
मिलके सबसे गले लगाने का ll

✍दुष्यंत कुमार पटेल’ चित्रांश

उम्रे रफ्ता – गुजरी ज़िंदगी
आरजूं – तमन्ना चाहत
बख्त – किस्मत

1 Like · 1 Comment · 370 Views
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