***आरक्षण के मार..कबले सहाई***
***आरक्षण के मार..कबले सहाई**
(भोजपुरी कविता)
समजवा मेँ कईसन ई फाटल बेवाई
हमनी के कबले ई पीड़ा घोटाई
घोड़वन के नोकरी गदहन मेँ बटाई
आरक्षण के मार भईया कबले सहाई ?
नेता जी अईहे त सपना दिखईहे
जीतला पर कबहूँ ना मूहवो दिखईहे
गरीबी के बदले ई गरीबवन के मिटाई
आरक्षण के मार भईया कबले सहाई
शिक्षा मेँ होत बा अब कईसन तमासा ?
तेजकन के दाखिला आरक्षण मेँ बटाता
ऐईसे त तेजकन के होई हीनाई
आरक्षण के मार भईया कबले सहाई
मेधा मिशन के कईल तू साथ हो
आरक्षण के पीड़ा से पाल निजात हो
नाहीँ त आरक्षण से होई तबाही
आरक्षण के मार भईया कबले सहाई !!!
©®पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
9560335952