आयो वसंत
#विधा———सरसी छंद
।। आयो वसंत ।।
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कोयल कूक रही बागों में, नाचे झींगुर मोर।
ऋतुओं का राजा आया है, सभी मचायें शोर।।
कण कण में मस्ती छाई है, आया है मधुमास।
बौराया लगे मस्त महीन, कहते फागुनी मास।।
पीले पीले पुष्प खिले है, पीली सरसों गात।
मदमाते मकरंद भरे से, दिखता है हर पात।।
तरुणाई छाई पुष्पों पर, मदमाता है भृंग।
हरी भरी रंगीन छटाये, रंग भरा हो श्रृंग।।
नैना दिखते मदमाते से, मतवाला है प्रीत।
हर मन में उत्साह भरा है, गली गली में गीत।।
फागुन हँसता झूम रहा है, लगा रहा है आग।
नर नारी सब सुध बुध खोये, खेल रहे हैं फाग।।
मस्त मगन पौधे लहराये, छेड रहे संबाद।
कोयल कूक रही बागों में, मिटे हृदय अवसाद।।
मधुर मधुर मधुपों का गुंजन,खिला खिलाआकाश।
इन्द्रधनुष सा नभ पर छाया, माधव बना प्रकाश।।
वाग्देवी वाणी वाचा माँ, नमन करो स्वीकार।
चरणों का मो दास बनाकर, कर मो पे उपकार।।
मंत्र तंत्र माँ नहीं जानते, भरदो उर में ज्ञान।
कपट द्वेष ईर्ष्या छोड़े हम, माँ तेरा ही ध्यान।।
……..स्वरचित, स्वप्रमाणित
✍️पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
मुसहरवा (मंशानगर) पश्चिमी चम्पारण, बिहार..८४५४५५