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24 Feb 2019 · 1 min read

आया बसंत

आया है ऋतुराज बसंत
सबका है सरताज बसंत
धरती ओढ़े चुनरी धानी
मिट्टी भी सोंधी महकी है
पीली पीली सरसों फूली
चिड़िया चीं ची चहकी हैं
आसमान में उड़ी पतंगें
कोयल ने भी छेड़ी तान
सर्दी भागी गर्मी आयी
भंवरों ने भी गाया गान
मौसम मिला जुला सा है
सब कुछ खिला खिला सा है
रंग बसंती राग बसंती
देखो आया फाग बसंती
नाच रहे हैं मस्त मयूर
नभ में सुंदर चांद खिला
कलियों पर यौ वन छाया
नवजीवन का वरदान मिला
आमों पर महकी है बौरे
तितली ने मधुपान किया
बसंत रूप है हरिहर का
गीता में गुणगान किया
बदल जाती है जैसे सृष्टि
हम अपनाएं नूतन दृष्टि
नव विचारों का हो उन्मेश
बसंत लाता है ये संदेश

Language: Hindi
421 Views
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