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21 Aug 2020 · 2 min read

आपातकालीन

उसे परामर्श देने के पश्चात मैंने उससे कहा की आपको आराम की जरूरत है , घर जा कर आराम करना ।
इस पर वह बोला
‘ साहब बस यही तो मुश्किल है ‘।
मैंने उससे पूछा आप क्या काम करते हैं ?
वह बोला मेरी
‘ परचूनी की दुकान है ।’
मैंने उससे कहा
‘ पर परचूनी की दुकान में भला ऐसा क्या काम है जिसकी वजह से तुम आराम नहीं कर सकते ?जब की दुकानों के खोलने एवं बंद होने का समय भी निश्चित है ।’
इस पर वह बोला साहब मेरी परचून की दुकान रेलवे स्टेशन के पार शहर के दूसरी ओर है । मैं अपनी दुकान में रेलवे स्टेशन पर जो खाने-पीने , चाय पान भोजन व्यवस्था आदि के ठेले लगाते हैं उनका कच्चा सामान अपनी दुकान पर रखता हूं । रात बिरात जब रेलगाड़ियां अनिश्चितकालीन लेट हो जाती हैं तो उसी के अनुसार वे ठेले वाले मेरे पास रात को आलू , नमक , हल्दी – मिर्चा , मसाले मैदा , आटा दूध चीनी चाय की पत्ती इत्यादि लेने आते हैं और मैं ऐसे आपातकाल ( इमरजेंसी ) में मध्य रात्रि में उन्हें दुकान खोल कर सामान देता हूं । इस प्रकार मेरी नींद रात को पूरी नहीं हो पाती । शायद ही कोई ऐसी रात्रि बीतती है जब मुझे रात को 2 – 4 बार उठना ना पड़े । ‘
यह सुनकर उसकी पत्नी बोली
‘ डॉक्टर साहब मैं तो इनसे यह कहती हूं कि अब रात को सौदा बेचना बंद करो , पर यह हैं की मानते ही नहीं ।’
यह बात सुनकर उसने कहा
‘ डॉक्टर साहब सोचो कि अगर मैं रात को उठकर यह सौदा निकाल कर उन्हें नहीं दूंगा तो न जाने कितने लोग हमारे स्टेशन से भूखे ही गुजर जाएंगे , और कितने ठेले वालों फेरी वालों की कमाई का नुकसान होगा ।’
अब तक मैं सोचता था की शायद( इमरजेंसी ) आपातकालीन परिस्थितियां केवल एक चिकित्सक की ही जिंदगी में पैदा होती हैं और वह यह सोचता है कि अगर मैंने इस इमरजेंसी को नहीं निपटाया तो ना जाने क्या हो जाए गा और जैसे सबका स्वास्थ उसी के भरोसे चल रहा हो ।

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 2 Comments · 440 Views
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