Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Sep 2016 · 1 min read

आपसे जो मिले खिल कमल हो गए

दो मुक्तक
1
आपसे जो मिले खिल कमल हो गए
बोल भी प्यार की इक ग़ज़ल हो गए
ज़िन्दगी में मिली जो ख़ुशी आपसे
नैन भी बावरे हो सजल हो गए
2
बदल ये भले ही जमाना रहा है
मगर दर्द अपना पुराना रहा है
न आराम तन को , न है चैन में मन
कहाँ वक़्त पहला सुहाना रहा है

डॉ अर्चना गुप्ता

Language: Hindi
8 Comments · 520 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Archana Gupta
View all
You may also like:
जिंदगी
जिंदगी
Neeraj Agarwal
निज धर्म सदा चलते रहना
निज धर्म सदा चलते रहना
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
मुझमें भी कुछ अच्छा है
मुझमें भी कुछ अच्छा है
Shweta Soni
*******खुशी*********
*******खुशी*********
Dr. Vaishali Verma
बदलाव
बदलाव
Shyam Sundar Subramanian
अभी दिल भरा नही
अभी दिल भरा नही
Ram Krishan Rastogi
यकीन नहीं होता
यकीन नहीं होता
Dr. Rajeev Jain
प्रेम और आदर
प्रेम और आदर
ओंकार मिश्र
"सेवा का क्षेत्र"
Dr. Kishan tandon kranti
मैं 🦾गौरव हूं देश 🇮🇳🇮🇳🇮🇳का
मैं 🦾गौरव हूं देश 🇮🇳🇮🇳🇮🇳का
डॉ० रोहित कौशिक
🥀 *अज्ञानी की कलम* 🥀
🥀 *अज्ञानी की कलम* 🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
मंज़र
मंज़र
अखिलेश 'अखिल'
शिमले दी राहें
शिमले दी राहें
Satish Srijan
कलियुग की संतानें
कलियुग की संतानें
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
हर चेहरा है खूबसूरत
हर चेहरा है खूबसूरत
Surinder blackpen
AGRICULTURE COACHING CHANDIGARH
AGRICULTURE COACHING CHANDIGARH
★ IPS KAMAL THAKUR ★
खुश होगा आंधकार भी एक दिन,
खुश होगा आंधकार भी एक दिन,
goutam shaw
" बिछड़े हुए प्यार की कहानी"
Pushpraj Anant
आपाधापी व्यस्त बहुत हैं दफ़्तर  में  व्यापार में ।
आपाधापी व्यस्त बहुत हैं दफ़्तर में व्यापार में ।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
मेरे दिल मे रहा जुबान पर आया नहीं....!
मेरे दिल मे रहा जुबान पर आया नहीं....!
Deepak Baweja
@ खोज @
@ खोज @
Prashant Tiwari
आबरू भी अपनी है
आबरू भी अपनी है
Dr fauzia Naseem shad
रिश्तों में झुकना हमे मुनासिब लगा
रिश्तों में झुकना हमे मुनासिब लगा
Dimpal Khari
■ मुक्तक
■ मुक्तक
*Author प्रणय प्रभात*
आख़िरी इश्क़, प्यालों से करने दे साकी-
आख़िरी इश्क़, प्यालों से करने दे साकी-
Shreedhar
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ : दैनिक रिपोर्ट*
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ : दैनिक रिपोर्ट*
Ravi Prakash
प्रेम
प्रेम
Rashmi Sanjay
जग जननी है जीवनदायनी
जग जननी है जीवनदायनी
Buddha Prakash
दोहा
दोहा
प्रीतम श्रावस्तवी
इन आँखों में इतनी सी नमी रह गई।
इन आँखों में इतनी सी नमी रह गई।
लक्ष्मी सिंह
Loading...