आपके दिल में ठहर जायेंगे
हम निगाहों की डगर जायेंगे
आपके दिल में ठहर जायेंगे
एक मुद्दत से अकेले हैं हम
आप से मिल के सँवर जायेंगे
दौर कैसा भी रहे लेकिन हम
मुश्किलों से भी उभर जायेंगे
तीरगी में न मिलेगा रस्ता
रौशनी है न इधर जायेंगे
गिर गये हैं न बचेंगे शायद
आइने हैं तो बिखर जायेंगे
आबोदाने के बिना मुश्किल है
वो परिन्दे न उधर जायेंगे
जीत उसकी है जो किरदार बुरा
फि वफ़ादार किधर जायेंगे
सबको ‘आनन्द’ ख़बर है हम सब
वक़्त के साथ गुज़र जायेंगे
– डॉ आनन्द किशोर