*”आदिशक्ति माँ कूष्मांडा”*
?*”आदिशक्ति माँ कूष्मांडा”*?
माँ कूष्मांडा तेरी महिमा अपरंपार ….
अब तो सुन लो हमारी करुण पुकार।
जया पिंगला ज्वालामुखी निराली ,
शाकम्भरी मां तू है भोली भाली।
मस्तक पे चन्द्र की रेखाएं शोभित
शंख चक्र त्रिशूल हाथ में ,
सिंह के कंधों पे सवारी।
माँ कुष्मांडा तेरी महिमा अपरंपार…
अब तो सुन लो हमारी करुण पुकार।
संपूर्ण विश्व को व्याप्त उत्पत्ति कर
देवों महर्षियों में परम पूज्यनीय दायिनी।
अतुल्यनीय शौर्य शक्ति दायिनी ,
रंचण्डिका समस्त विश्व पालिनी।
माँ कुष्मांडा तेरी महिमा अपरंपार….
अब तो सुन लो हमारी करुण पुकार।
चराचर जगत में व्यापित अंश
रज ,तम ,सत्व गुणों में विद्यमान परा प्रकृति दायिनी।
पितरों को भी तृप्ति दे स्वाहा स्वधा मोक्षदायिनी।
माँ कूष्मांडा तेरी महिमा अपरंपार….
अब तो सुन लो हमारी करुण पुकार।
शब्दस्वरूपा निर्मल वेद पुराणों का आधार ,
मार्कण्डेय ऋषि को अमर बना दुर्गा सप्तशती ज्ञान कराती।
मुखमण्डल मृदु सौम्य हास्य निर्मल ,
पूर्ण चन्द्रबिम्ब स्वर्ण कांति स्वरुपिणी।
माँ कूष्मांडा तेरी महिमा अपरंपार….
अब तो सुन लो हमारी करुण पुकार।
सुन ले हमारी करुण पुकार।
अनुपम लावण्य रूप देख महिषासुर ,
कुपित हो आघात किया।
क्रोध की मुद्रा में भौंहे चढ़ा जब माँ ने
क्रोधाग्नि में विशाल सेना का संहार किया।
कुपित होने पर वंश नाश कर देती ,
प्रसन्न हो संपूर्ण विश्व का कल्याण कर देती।
भक्तों पे कृपा दृष्टि बरसाती ,धन धान्य से पूर्ण ख्याति प्राप्त कराती।
माँ कूष्मांडा तेरी महिमा अपरंपार…
अब तो सुन लो हमारी करुण पुकार।
स्मरण मात्र से समस्त जीवों का भय निवारण,
स्वतंत्र बुद्धि चिंतन दुख दारिद्र दूर करे माँ भयहारिणी।
माँ कूष्मांडा तेरी महिमा अपरम्पार….
अब तो सुन लो हमारी करुण पुकार।
शत्रुओं को शस्त्र से आघात करती
दृष्टिपात से ही संपूर्ण दैत्यों को भस्म कर डालती।
शस्त्र के प्रहार से पवित्र हो स्वर्गपुरी मोक्ष दिलाती।
खड्गधारी तेज दिव्य दीप्ती मान
त्रिशूल के अग्र भाग से घनीभूत कांति असुरों को विदीर्ण कर डालती।
माँ कूष्मांडा तेरी महिमा अपरंपार…
अब तो सुन लो हमारी करुण पुकार।
मनोरम किरणों से युक्त मुख चन्द्र दर्शन ,
आनंद दे जाती।
शील दुरात्माओं दुर्व्यवहार निवारिणी,
माँ का चिंतन मनन अतुल्यनीय अद्भुत शांत रस परम शांति सुख दे जाती।
माँ कूष्मांडा तेरी महिमा अपरंपार….
अब तो सुन लो हमारी करुण पुकार।
हॄदय में दयालुता युद्ध में निर्दयता भाव ,
दोनो भावों में त्रिनेत्री त्रिलोक्य त्रिलोकी कहलाती।
शत्रुओं का वध कर दैत्यों का संहार कर अमर पद दिलाती।
माँ कूष्मांडा तेरी महिमा अपरंपार….
अब तो सुन लो करुण पुकार।
संकट कष्ट हर भय को दूर करने वाली भयहारिणी।
खड्ग खप्पर चक्र धारी धनुष बाण शूल से
रक्षा करने वाली ।
दसों दिशाओं में त्रिशूल घुमाकर परित्राण करने वाली।
परम सुंदरी अत्यंत भीषण युद्ध में त्रिभुवन विचरण करने वाली।
जगन्माता स्तवन नंदनवन कानन दिव्य
पुष्पित सुंगधि पुष्टि करने वाली।
माँ कूष्मांडा तेरी महिमा अपरंपार….
अब तो सुन लो हमारी पुकार।
हाथ जोड़ शशि खड़ी हुई ,
आराधना करती दर्शन दे संकटों से मुक्ति देने वाली।
विश्व के कल्याणार्थ देवों के शरीर से प्रागट्य प्रादुर्भूत हुई ,
हितकारी देवी शुम्भ निशुम्भ वध कर गौरी स्वरूप अवतारिणी।
आदिशक्ति माँ कूष्मांडा आलौकिक दिव्य शक्ति धारिणी।
माँ कूष्मांडा तेरी महिमा अपरंपार….
अब तो सुन लो हमारी पुकार।
सूर्य सा स्वर्णिम चमक दसों दिशाओं में प्रकाश फैलाती।
तम अंधकार मिटा दैवीय आपदा मिटाने शांत रस भक्तिमय भाव अंतर्मन जगाती।
माँ कूष्मांडा तेरी महिमा अपरंपार…
अब तो सुन लो हमारी पुकार।
आ जाओ विश्व पालन संकट से मुक्ति कर दो अबकी बार।
सुख संपत्ति आरोग्य निरोगी काया देकर ,
नैनो से दर्शन दे अमृत धारा बरसाओ।
माँ कूष्मांडा तेरी महिमा अपरंपार….
अब तो सुन लो हमारी पुकार।
या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्मांडा रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
शशिकला व्यास ✍
जय माँ कूष्मांडा ???????????????