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2 Mar 2018 · 1 min read

आदमी

इन्सानों के दुनिया में,
ना जाने क्या- क्या बन जाते हैं।

खुद ही उलझते – खुद ही सुलझते,
खुद में खुद बन कर रह जाते ।
अन्य कि जरूरत क्या,
अपने ही वैरी बनें।
ना रिसते ना नाते,
सब गंवा जाते‌।
ना इज्जत ना सौहरत,
शराबी बन रही जाते।।
कभी यहां मानवों कि,
आदमी हि बाकी रह जाते।।।।

Language: Hindi
391 Views
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